Farmer Protest: पंजाब के किसान हरियाणा-पंजाब के खनौरी और शंभू बॉर्डर पर पिछले साल फरवरी से अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर हैं, उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही है। किसानों ने कई बार ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत बॉर्डर पार करने की कोशिश की थी, लेकिन पंजाब पुलिस ने उन्हें कभी बॉर्डर पार करने ही नहीं दिया। वो मोदी सरकार जो किसानों के आंदोलन के चलते तीन कृषि कानूनों को रद्द कर चुकी है, वह इस बार किसानों आंदोलन से खुद को रख रही है।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के मुद्दे पर बातचीत के दौरान कहा था कि अभी तो मामला सुप्रीम कोर्ट देख रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जो निर्देश होंगे, उनका पालन किया जाएगा। उनका कहना है कि वे किसानों से हर संभव बातचीत करने को तैयार है, लेकिन एक सच यह भी है कि किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कुछ खास बातचीत नहीं हो पाई है।

आज की बड़ी खबरें

किसानों के आंदोलन को लेकर सतर्क है मोदी सरकार

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों पर पूछे गए सवालों पर चौहान का सतर्क जवाब बताता है कि कृषि आंदोलन से निपटने में सरकार का रुख बदल चुका है। अपने पिछले कार्यकाल में आंदोलनकारी किसान यूनियनों के साथ अपनी सक्रिय भागीदारी के विपरीत नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 3.0 इस मुद्दे से दूरी बना रखी है।

केंद्र सरकार ने पिछले आंदोलन में की थी बातचीत

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान जब किसान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों (अब निरस्त) के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक धरना दिया था, तब तीन केंद्रीय मंत्रियों की एक टीम किसानों के साथ बातचीत कर रही थी। इसमें तत्कालीन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल थे।

थम गए बस और ट्रेनों के चक्के, पंजाब बंद में क्या क्या हुआ?

उस दौरान केंद्रीय मंत्रियों की टीम ने 14 अक्टूबर, 2020 से 22 जनवरी, 2021 तक अपने यूनियनों के साथ 11 दौर की वार्ता की थी। एक अवसर पर, 8 दिसंबर 2020 को, यहां तक ​​कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद किसान नेताओं के साथ देर रात बैठक करने के लिए दिल्ली के पूसा कॉम्प्लेक्स पहुंचे थे।

पिछले साल भी हुई थी बातचीत

पिछले साल फरवरी की शुरुआत में भी जब किसानों ने फिर से दिल्ली मार्च का आह्वान किया था, तो तीन केंद्रीय मंत्री, पीयूष गोयल के साथ तत्कालीन कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आंदोलनकारी कृषि यूनियनों के साथ दो दौर की वार्ता की थी। हालांकि यह बातचीत सफल नहीं रही थी।

स्कूल कॉलेज से लेकर सरकारी आफिस तक पंजाब में हुए बंद

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को हर मंगलवार को बैठक के लिए खुला निमंत्रण दिया है और किसानों के कुछ समूहों से मुलाकात भी की है। उन्होंने कृषि क्षेत्र की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने के लिए पंजाब के मंत्री गुरमीत सिंह खुदियन सहित राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ भी कई दौर की बैठक की है लेकिन उन्होंने अभी तक आंदोलनकारी किसानों के साथ कोई बैठक नहीं की है।

कृषि मंत्री के साथ बैठक के बाद हंगामा

सरकार का मानना ​​है कि तत्कालीन कृषि सचिव संजय अग्रवाल द्वारा 14 अक्टूबर, 2020 को कृषि भवन में 29 प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के साथ पहले दौर की बैठक करने के लिए दिल्ली आमंत्रित करने के कदम ने विवाद को हल करने के बजाय उनके विरोध को और भड़का दिया। बैठक तब हंगामे में बदल गई थी, जब किसान नेता कृषि मंत्री तोमर की मौजूदगी की मांग करते हुए बैठक से बाहर आ गए थे।

आंदोलनकारी किसानों ने कृषि भवन के बाहर तीनों विधेयकों की प्रतियां भी फाड़ दीं और नारेबाजी की। यह एक लंबी लड़ाई की शुरुआत थी, क्योंकि किसानों ने 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली के लिए अपना मार्च शुरू किया था। इसके बाद, सरकार और किसान यूनियनों के बीच 10 दौर की और बातचीत हुई, जो 26 नवंबर, 2020 तक जारी रही।

किसान आंदोलन को लेकर मोदी शाह और शिवराज का प्लान

सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी कानूनों पर रोक

12 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी और तीनों कृषि कानूनों पर विचार-विमर्श के लिए चार सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश पारित किया। समिति के एक सदस्य, भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इसकी बैठकों से अलग कर लिया।

इसके अलावा अन्य तीन सदस्यों, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी और शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट ने तीनों कृषि कानूनों पर विचार-विमर्श किया और शीर्ष अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी। आखिरकार 19 नवंबर, 2021 को गुरु नानक देव जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की।

SKM (गैर-राजनीतिक) और KMM 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, जब हरियाणा पुलिस ने उनके “दिल्ली चलो” मार्च को रोक दिया था, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के रास्ते राज्य में उनका प्रवेश अवरुद्ध हो गया था। किसान आंदोलन से जुड़ी खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।