BSP Chief Mayawati: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की मुखिया मायावती ने आकाश आनंद के ससुर पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ और एक अन्य नेता को भी गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निकाल दिया है। सिद्धार्थ के अलावा पार्टी के केंद्रीय-राज्य समन्वयक नितिन सिंह को भी पार्टी से निकाल दिया गया है। इससे करीब एक साल पहले मायावती ने अपने भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद पर कार्यवाही की थी। लेकिन अब बसपा चीफ ने उनके ससुर सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

बसपा चीफ मायावती ने बुधवार को पोस्ट करते हुए लिखा, ‘पूर्व सांसद और बसपा के प्रभारी रहे डॉ.अशोक सिद्धार्थ, विशेषकर दक्षिणी राज्यों आदि को तथा मेरठ के नितिन सिंह को चेतावनी के बावजूद गुटबाजी आदि पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने के कारण पार्टी हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।’

बीएसपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सिद्धार्थ पार्टी पर आनंद के नियंत्रण को मजबूत करने के लिए उत्सुक थे और यह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के एक वर्ग को पसंद नहीं आया। आनंद को लोकसभा चुनाव के बीच में पार्टी से बाहर कर दिया गया था, कुछ हफ़्ते पहले उन्होंने एक चुनावी रैली में बीजेपी पर निशाना साधा था। पार्टी द्वारा अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन दर्ज किए जाने के कुछ हफ़्ते बाद जून 2024 में उन्हें फिर से बहाल किया गया।

पार्टी में मतभेदों के बारे में पूछे जाने पर एक बीएसपी नेता ने कहा कि कुछ नेताओं (आनंद के खिलाफ) ने नेतृत्व से शिकायत की थी कि सिद्धार्थ जी ने उन्हें आगरा में एक शादी समारोह में आमंत्रित नहीं किया, जहां कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। अक्टूबर में दिल्ली चुनाव के लिए एक बैठक के दौरान, जब मायावती ने इन नेताओं (जिन्होंने शिकायत की थी) से समन्वय समितियों के गठन के बारे में पूछा था, तो उनमें से एक ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि सभी तैयारियां कर ली गई हैं। लेकिन आकाश ने उनका जवाब देते हुए कहा कि सभी समितियां नहीं बनाई गई हैं। उस नेता ने तब हर जगह यह कहना शुरू कर दिया कि पार्टी में वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

आकाश के एक करीबी नेता ने बताया कि चुनाव के दौरान दिल्ली में बीएसपी के पांच गुट सक्रिय थे, जिनमें से एक मायावती के भतीजे के खिलाफ काम कर रहा था। नेता ने बताया कि दिल्ली चुनाव में आकाश प्रचार अभियान के प्रभारी थे और कम से कम दो रैलियों में उम्मीदवार आकाश के बाद कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।

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बसपा के एक नेता ने कहा कि सिद्धार्थ ने कई मौकों पर आकाश को बचाया और इससे वे लोग परेशान हैं जो नहीं चाहते कि मायावती के भतीजे आकाश पार्टी पर नियंत्रण हासिल करें। बीएसपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सिद्धार्थ और सिंह के खिलाफ कार्रवाई चौंकाने वाली है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पार्टी नेतृत्व यह संदेश देना चाहता था कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है।

सिद्धार्थ उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के रहने वाले हैं और 2009 में यूपी विधान परिषद के लिए चुने गए थे, जब पार्टी राज्य में सत्ता में थी। 2016 में, वे राज्यसभा के लिए चुने गए । हाल ही में उन्हें महाराष्ट्र में पार्टी के चुनाव प्रयासों का प्रभार दिया गया था, लेकिन चुनाव से एक महीने पहले उन्हें पद से हटा दिया गया था।

सिद्धार्थ के करीबी माने जाने वाले सिंह पार्टी के राजस्थान प्रभारी थे। उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनावों की निगरानी का काम सौंपा गया था, लेकिन प्रयास सफल नहीं हुए। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि मैंने हमेशा बहन जी के निर्देशों का पालन किया है। उनका फैसला स्वीकार है और पार्टी नेतृत्व जो भी कहेगा, मैं उसका पालन करता रहूंगा। सिद्धार्थ ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।

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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए लालमणि वर्मा की रिपोर्ट)