समाजवादी पार्टी  के अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों से इतने परेशान थे कि उन्होंने अपनी तत्कालीन सहयोगी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती सहित अपने नेताओं के फोन कॉल्स उठाना बंद कर दिया था। यह दावा मायावती ने किया है। मायावती ने बसपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के नाम एक लंबा संदेश जारी किया है, जिसमें पार्टी के सामने आने वाली चुनौतियों से लड़ने और  तैयार रहने के लिए हिदायतें की गई हैं। 

मायावती की ओर से दिए गए  59 पन्नों के संदेश को 27 अगस्त को लखनऊ में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान जारी किया गया। इस ही बैठक में उन्हें छठी बार पार्टी अध्यक्ष भी चुना गया।

सपा के साथ ‘खराब गठबंधन’ पर मायावती ने क्या लिखा?

बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी अपील में समाजवादी पार्टी के साथ अपने गठबंधन से जुड़े ‘बुरे अनुभव’ के बारे में काफी कुछ लिखा है। यह बात 1993 से शुरू की गई है, जब दोनों दलों ने पहली बार गठबंधन किया था।

मायावती ने लिखा, “पार्टी और आंदोलन के हित में यह याद दिलाना ज़रूरी है कि 1993 के यूपी विधानसभा चुनावों में तत्कालीन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम जी को यह समझाकर बसपा के साथ गठबंधन किया था कि कांग्रेस और भाजपा और अन्य जातिवादी पार्टियां नहीं चाहतीं कि दलित और पिछड़े एक साथ आकर राजनीतिक ताकत बनें और राज्यों और केंद्र में शासन करें। मुलायम सिंह पर भरोसा करते हुए कांशीराम जी ने 1993 के चुनावों में सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा, हालांकि अन्य दलों ने कहा था कि मुलायम सिंह की वजह से यह गठबंधन ज़्यादा दिन नहीं चलेगा और अंत में यही हुआ।”

मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह सरकार के कार्यकाल में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं पर कथित अत्याचार के बाद बीएसपी ने 1 जून 1995 को उससे समर्थन वापस ले लिया था। जिसके अगले दिन लखनऊ गेस्ट हाउस में उन पर हमला हुआ। 3 जून 1995 को मायावती ने सपा विरोधी पार्टियों के समर्थन से पहली बीएसपी सरकार बनाई। इसके बाद बीएसपी ने कई सालों तक सपा से दूरी बनाए रखी।

2019 के लोकसभा चुनाव का ज़िक्र करते हुए मायावती ने क्या कहा?

लोकसभा चुनाव-2019 का ज़िक्र करते हुए मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा ने उनसे पिछले कुकर्मों को भूलने और भाजपा को रोकने के लिए फिर से हाथ मिलाने का आग्रह किया। सीट बंटवारे के समझौते के तहत 80 सीटों में से बसपा ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा और 10 सीटें जीतीं, जबकि सपा ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल पांच सीटें जीतीं। अपने संदेश में मायावती ने दावा किया कि अखिलेश नतीजों से इतने परेशान थे कि उन्होंने उनके साथ बातचीत तक दी, जिसके बाद बसपा को सपा से गठबंधन तोड़ना पड़ा।

मायावती ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में अखिलेश को कांग्रेस के साथ गठबंधन करके और संविधान और आरक्षण की रक्षा के नाम पर पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) को गुमराह करके कुछ सफलता मिली है, लेकिन पीडीए को इससे कुछ हासिल नहीं होगा। उन्हें सपा से सावधान रहना चाहिए।