महाराष्ट्र की सरकार में अजित पवार की एंट्री ने राज्य से सियासी समीकरण को काफी हद तक बदल दिया है। शरद पवार और अजित पवार के बीच जारी ‘कब्जे’ की जंग में अजित को पार्टी के कई बड़े नेताओं का साथ मिला है। आंकड़ों के खेल में फिलहाल वह बाजी मारते दिखाई दे रहे हैं। अजित पवार सरकार में शामिल तो हो चुके हैं लेकिन मंत्रालय का बंटवारा अभी नहीं हुआ है। उनकी ओर से ना सिर्फ खुद के लिए बल्कि एनसीपी के सरकार में शामिल हुए अन्य विधायकों के लिए भी अहम मंत्रालय की मांग की गई है। दावा किया जा रहा है कि अजित पवार की बीजेपी के साथ मंत्रालय के बंटवारे को लेकर चर्चा अंतिम दौर में है। कुछ अहम मंत्रालय को लेकर पेंच फंसा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि शिंदे गुट के भी कई अहम मंत्रालय अजित गुट को दिए जा सकते हैं।
कैसे होगा मंत्रालय का बंटवारा?
महाराष्ट्र के ताजा घटनाक्रम को लेकर देखते हुए सभी की निगाहें अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर है। एकनाथ शिंदे पिछले कुछ समय से फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। अजित पवार की एंट्री के साथ कई लोगों ने सवाल उठाए थे कि इससे शिंदे गुट को बड़ा झटका लगेगा। दरअसल अजित पवार की एंट्री से एकनाथ शिंदे के सामने अपने गुट को संभालना बड़ी चुनौती है। अजित पवार इशारा कर चुके हैं कि उनकी नजर मुख्यमंत्री पद पर है। अजित पवार वित्त और कृषि समेत तमाम मंत्रालय की मांग कर चुके हैं। यही कारण है कि लगातार मंत्रिमंडल विस्तार टाला जा रहा है। चर्चा है कि फडणवीस को बीजेपी दिल्ली भेज सकती है। इससे एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बीच गठबंधन में एकजुट बने रहना बड़ी चुनौती होगी। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से पहले भी कहा जा चुका है कि जब सरकार चलाने के लिए पर्याप्त संख्या है तो एनसीपी को गठबंधन में शामिल करने की क्या जरूरत थी।
पवार की एंट्री के पीछे ये बड़ी वजह?
गठबंधन सरकार में पवार की एंट्री में बीजेपी की मजबूरी की बात करें तो इसके बीजेपी एक तीर से कई निशाने साध सकती है। इसके जरिए बीजेपी अब उन 11 लोकसभा क्षेत्रों में सेंध लगा सकती है जो पहले एनसीपी के गढ़ थे। एनसीपी के इन गढ़ों में बीजेपी से अलग मतदाता आधार है। अजित पवार के शामिल होने से बीजेपी को अपनी पकड़ मजबूत होने की उम्मीद है। इससे बीजेपी को पुणे, सतारा और अन्य सहित पश्चिमी महाराष्ट्र के जिलों में अपना आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। माना जाता है कि फडणवीस और अजित पवार के बीच दोस्ताना संबंध हैं। लोगों का कहना है कि शिंदे अब तक महाराष्ट्र में प्रभाव नहीं डाल पाए हैं और अजित पवार के आने से वह और कमजोर हो सकते हैं। महाराष्ट्र में विवादास्पद विज्ञापन में शिंदे ने स्पष्ट रूप से यह दर्शाया है कि वह लोगों की पहली पसंद हैं और उन्होंने सरकार में फडणवीस की भूमिका को कम महत्व दिया है। बीजेपी अजित पवार के जरिए शिंदे को ‘काबू’ कर सकती है।