कांग्रेस ने एक बार फिर ‘NYAY योजना’ का वादा दोहराया है। अगर याद किया जाए 2019 के आम चुनाव को तो यह शब्द सबसे पुरानी पार्टी के घोषणापत्र का केंद्र बिन्दु माना जाता था। हालांकि पार्टी को इसका फायदा हासिल नहीं हुआ और बीजेपी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही।
28 दिसंबर को स्थापना दिवस के मौके पर नागपुर में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि अगर कांग्रेस इस बार सत्ता में आई तो ‘NYAY योजना’ को लागू करेगी। एक ऐसी योजना जिसके तहत महिलाओं को हर साल कम से कम 60,000-70,000 रुपये दिए जाएंगे। 27 दिसंबर को कांग्रेस ने यह भी घोषणा की कि वरिष्ठ नेता राहुल गांधी इस बार 14 जनवरी से 20 मार्च तक मणिपुर से मुंबई तक यात्रा शुरू करेंगे और इस यात्रा का नाम ‘न्याय यात्रा’ होगा।
ठीक 2019 के आम चुनाव के आसपास ही 2018 में प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने पीएम-किसान (प्रधान मंत्री – किसान सम्मान निधि) योजना शुरू की थी। इसे किसानों के लिए दुनिया की सीधे तौर पर फायदा पहुंचाने वाली सबसे बड़ी स्कीम कहा गया था। इस योजना के तहत भारत में सभी भूमि धारक किसान परिवारों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000/- की आय सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान था।
जब सरकारें या राजनीतिक दल ऐसी योजनाएं चुनाव से ठीक पहले जनता के सामने लाती हैं, तब कई तरह के सवाल भी पैदा होते हैं। आखिर ऐसी योजनाओं का आकर्षण क्या है? क्या ऐसी योजनाएं खैरात या मुफ़्त उपहार या रेवड़ियाँ नहीं हैं? क्या यह योजनाएं यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) की तरह हैं? जिसमें हर किसी का भत्ता निर्धारित होता है।
क्या है NYAY, क्यों यह UBI की तरह नहीं है?
पहली बार ‘NYAY योजना’ का जिक्र जनवरी 2019 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा रखा गया था। माना जाता है कि इसके बाद पार्टी ने नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी जैसे लोगों के राय-मशवरे से इस विचार को एक घोषणा पत्र के तौर पर तैयार किया। इसे बनाने के लिए कुछ अन्य प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों को शामिल किया गया और जनता के सामने रखा गया।
न्यूनतम आय योजना (NYAY) या मिनिमम इनकम सपोर्ट प्रोग्राम (MISP) योजना के तहत कांग्रेस ने देश के सबसे गरीब लोगों को आर्थिक न्याय देने का वादा किया था। इस स्कीम के तहत गरीबों को हर साल 72,000 रुपये (6 हजार प्रति महीना) दिए जाना था कांग्रेस का मानना था कि इससे भारत के 20 फीसदी सबसे गरीब लोगों (5 करोड़ परिवारों) को फायदा हासिल होता।
अब सवाल यह उठता है कि ‘न्याय योजना’ या ‘पीएम किसान निधि योजना’ यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) की तरह क्यों नहीं हैं? यूबीआई दरअसल यह तय करने का मतलब है कि सरकार देश के प्रत्येक नागरिक को बुनियादी आय दे और इससे उनकी आर्थिक समृद्धि हो सके।
क्यों UBI को लागू नहीं किया जाता?
UBI को लेकर यह माना जाता है कि कोई भी देश इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता क्योंकि देश के आर्थिक खांचे में इसे बैठाना बहुत बड़ी चुनौती है। स्विट्ज़रलैंड जैसे समृद्ध देशों में जहां यूबीआई पर विचार किया गया और अपनाने से इनकार कर दिया गया यूबीआई राशि काफी अधिक है, भले ही वहां की जनसंख्या कम है।