Akhilesh Yadav Politics: उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने, लोकसभा चुनाव के बाद से ही यह कहना शुरू कर दिया था कि वह 5 सीटों पर लड़ेगी। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव लगातार PDA गठबंधन की बात करते रहे लेकिन उन्होंने कभी सीटों को लेकर चर्चा नहीं की। हरियाणा चुनाव के नतीजों के बाद अचानक प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर अखिलेश ने कांग्रेस को झटका दिया। तब तक यह उम्मी थी कि कांग्रेस को 2 या तीन सीटें मिल सकती हैं लेकिन नामांकन का आखिरी दिन आते आते यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस का हाथ एक भी सीट पर EVM में नहीं होगा।

10 सीटों पर सीट शेयरिंग को लेकर अखिलेश यादव लगातार यह कहते रहे कि बातचीत जारी है लेकिन अंत में उन्होंने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। वहीं कांग्रेस अपनी राजनीतिक स्थिति के चलते ही समाजवादी पार्टी के खिलाफ ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकी। पहली बार ऐसा होगा कि यूपी चुनाव में कांग्रेस नहीं होगी। हालांकि, PDA का नारा देकर अखिलेश कांग्रेस का समर्थन लेंगे और कार्यकर्ताओं से वोट भी मंगवाएंगे लेकिन कांग्रेस की अपनी कोई बढ़त नहीं होगी।

आज की बड़ी खबरें LIVE

कांग्रेस के ही नेता पर हो गई कार्रवाई

एक तरफ जहां उपचुनाव में अखिलेश ने यूपी के लिए कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी है। कांग्रेस पार्टी की स्टेट यूनिट इस मामले में काफी नाराज है लेकिन आलाकमान द्वारा लिए गए फैसले के चलते कोई नेता खुलकर कुछ बोल नहीं रहे है। स्थिति यह है कि जब प्रयागराज कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुरेश यादव ने निर्दलीय नामांकन किया तो पार्टी ने उनके खिलाफ ही कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह बताता है कि कांग्रेस पूरी तरह से समाजवादी पार्टी पर ही निर्भर हो गई है।

महाराष्ट्र में कांग्रेस पर बना रहे दबाव

एक तरफ जहां उपचुनाव में अखिलेश ने यूपी के लिए कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी है। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी गठबंधन से सीटें मांग रही है। स्थिति यह अखिलेश यादव की पार्टी के नेता अबु आजमी लगातार एमवीए के नेताओं से चर्चा कर रहे हैं लेकिन बात नहीं बन रही है।

अबु आजमी जहां 5 सीटों की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हें इस मामले में कोई जवाब ही नहीं मिल रहा है। खबरें यह भी हैं कि अखिलेश यादव कांग्रेस के इस रुख से नाराज हैं और वे कांग्रेस पर आक्रामक बयान भी दे रहे हैं।

‘राजनीति में कुर्बानी की जगह नहीं, अगर सीटें नहीं मिली तो…’, अखिलेश यादव की महाविकास अघाड़ी को दो टूक

अखिलेश ने इस बीच कहा है कि अगर हमें गठबंधन में नहीं रखा जाता है तो हम जहां मजबूत हैं, वहां चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश यादव ने कहा, “समाजवादी पार्टी के प्रदेश (महाराष्ट्र) अध्यक्ष फैसला करेंगे। पहले हम गठबंधन में रहने की कोशिश करेंगे। लेकिन अगर वे (महाविकास अघाड़ी) हमें गठबंधन में नहीं रखेंगे, तो हम उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जहां हमें वोट मिलेंगे या जहां हमारा संगठन काम कर रहा है। हम उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिनसे गठबंधन को नुकसान नहीं होगा। राजनीति में कुर्बानी के लिए कोई जगह नहीं है।”

क्या ममता की राह पर हैं अखिलेश यादव?

2024 लोकसभा चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन के गठन के दौरान लगातार यह खबरें सूत्रों के हवाले से चलाई जा रही थीं, कि अखिलेश यादव किसी भी कीमत पर कांग्रेस के साथ इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं होना चाहते थे लेकिन ममता बनर्जी और उस वक्त विपक्ष में शामिल बिहार के सीएम नीतीश कुमार की सलाह पर वे विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए थे। हालांकि, बाद में नीतीश कुमार ने जब एनडीए का रुख कर लिया तो उसके बाद से कांग्रेस के ममता बनर्जी के साथ गठबंधन खराब होते चले गए।

‘बीजेपी हम लोगों से आगे निकल गई…’ करहल उपचुनाव के बीच अखिलेश यादव का बड़ा बयान, जानिए क्या हैं इसके मायने

लोकसभा चुनाव के दौरान लंबे वक्त तक यह दावा किया जाता रहा कि बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो जाएगा और सीट शेयरिंग पर सहमति भी बन जाएगी। बातचीत के कई दौर चले लेकिन अंत में नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा, क्योंकि टीएमसी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए सीधा ऐलान किया कि पार्टी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देगी।

टीएमसी यह समझ चुकी थी कि 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने कांग्रेस का जनाधार समेट लिया है। हालांकि ये नतीजों में भी दिखा क्योंकि कांग्रेस को पूरे राज्य में केवल एक ही सीट मिली थी।

अखिलेश और ममता के बीच मजबूत राजनीतिक संबंध

दावे यह भी किए जाते हैं कि ममता बनर्जी राजनीतिक तौर पर अखिलेश यादव को राहुल गांधी से ज्यादा परिपक्व मानती हैं। हाथरस में हुए भगदड़ कांड के दौरान ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर कहा था कि अखिलेश को राहुल गांधी से पहले हाथरस जाना चाहिए था।

अखिलेश और ममता के बीच राजनीतिक संबंध इस तर्क से भी समझे जा सकते हैं कि जो अखिलेश यादव पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक नेरेटिव के बावजूद आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर को एक भी सीट नहीं दी, उन्हीं अखिलेश ने टीएमसी को बिना मांगे भदोही की सीट अपनी तरफ से दे दी, जबकि टीएमसी का यूपी में कोई जनाधार नहीं है।

ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन में होने के बावजूद सीधे कांग्रेस पर आक्रामक रही हैं और कुछ वैसा ही रुख अखिलेश यादव भी अपना रहा है, जिसके चलते यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अखिलेश यादव अब कांग्रेस पार्टी के साथ, यूपी में वही व्यवहार कर रहे हैं, जैसा कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में करती हैं?