Satyendar Jain Case: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बुधवार को संविधान का 130वां संशोधन विधेयक पेश किया गया। इस संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 में प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों में पद से हटाने का प्रावधान है। इस विधेयक में कहा गया है कि कोई भी मंत्री जो किसी गंभीर अपराध के लिए 30 दिनों तक जेल में रहा है, उसे अपना पद खोना होगा। इस विधेयक के बाद अब सबसे ज्यादा चर्चा सत्येंद्र जैन को लेकर हो रही है, जो दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे।
सत्येंद्र जैन के मामले में हाल ही में यानी 4 अगस्त, 2025 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने PWD में कथित अनियमित नियुक्तियों और असंबंधित परियोजनाओं से भुगतान से जुड़े मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी दे दी थी। कोर्ट ने कहा था कि लंबे समय तक चली जांच के बावजूद भ्रष्टाचार या आपराधिक षड्यंत्र का कोई सबूत नहीं मिला। यह आप के किसी भी वरिष्ठ नेता के खिलाफ दर्ज किए गए पहले बड़े भ्रष्टाचार के मामलों में से एक था।
लगभग चार वर्षों तक जांच करने के बाद सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा कि उसे मामले में कोई आपराधिक गतिविधि या सरकार को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने का कोई मामला नहीं मिला है।
रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए, राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह जो मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब सीबीआई को आपराधिक साजिश, सत्ता के दुरुपयोग, आर्थिक लाभ या सरकारी खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने का कोई सबूत नहीं मिला, और कथित कृत्य अधिकतम प्रशासनिक अनियमितताएं हैं, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) के तहत कोई अपराध या आपराधिक साजिश स्थापित नहीं होती है। सत्येंद्र जैन ने जेल में कुल 18 महीने गुजारे। जैन को मई, 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
सत्येंद्र जैन के खिलाफ क्या मामला था?
यह मामला लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की विभिन्न परियोजनाओं के लिए 17 सदस्यीय टीम की नियुक्ति में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा था। दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की एक शिकायत के बाद 29 मई, 2019 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नियमों का उल्लंघन करते हुए पीडब्ल्यूडी में पेशेवरों की नियुक्ति की गई थी और भुगतान असंबंधित परियोजना निधि से किए गए थे।
शिकायत में कहा गया कि पीडब्ल्यूडी परियोजनाओं के लिए पेशेवरों की आउटसोर्सिंग कथित रूप से अनियमित थी और संबंधित वित्त विभाग से उचित अनुमोदन का अभाव था। इसमें कहा गया है कि भर्ती में मानक भर्ती प्रक्रियाओं को दरकिनार किया गया और खर्च असंबंधित परियोजनाओं पर डाल दिए गए।
मुख्य आरोप यह था कि जैन और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली मानक भर्ती प्रक्रियाओं की अनदेखी की, कार्य के दायरे में बदलाव किया, तथा मेसर्स सोनी डिटेक्टिव एंड एलाइड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी को लाभ पहुंचाने के लिए प्रक्रिया में हेरफेर किया।
एफआईआर दर्ज होने के बाद, सीबीआई ने नियुक्ति से संबंधित विभिन्न पहलुओं की जांच की, जैसे कि इन पेशेवरों को नियुक्त करने का औचित्य और आवश्यकता, भर्ती प्रक्रिया के पीछे पारदर्शिता (या इसकी कमी), परियोजना निधियों का अनुमोदन और उपयोग, क्या इसमें कोई व्यक्तिगत लाभ शामिल था, और क्या कानूनी और प्रक्रियात्मक मानदंडों का पालन किया गया था।
जांच में और क्या पाया गया?
जांच के बाद, सीबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंची कि पेशेवरों को नियुक्त करने की आवश्यकता उचित थी। इसमें पाया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया एक विज्ञापन के साथ शुरू हुई थी, जिसमें नौकरियों के लिए 1,700 आवेदन आए थे, तथा चयन योग्यता के आधार पर किया गया था।
जिन लोगों को काम पर रखा गया था, उन्हें 50,000 रुपये से 1.95 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान किया गया था, जिसके बारे में सीबीआई ने कहा कि यह उचित पारिश्रमिक था जो अन्य पीडब्ल्यूडी आर्किटेक्ट्स की नियमित कमाई के अनुरूप था। सीबीआई ने यह भी कहा था कि विभागीय तत्काल आवश्यकताओं के कारण पेशेवरों की नियुक्ति आवश्यक थी और स्वीकृत सीमा से अधिक कोई भुगतान नहीं किया गया था।
इसमें कहा गया है कि पूरी जांच में कोई आपराधिक गतिविधि या सरकार को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने का मामला नहीं पाया गया… किसी तरह के लेन-देन या षड्यंत्र का कोई सबूत सामने नहीं आया है, और लोक सेवकों के कृत्य धोखाधड़ीपूर्ण आचरण नहीं हैं। सीबीआई ने यह भी कहा कि एजेंसी को समाचार पत्रों में विज्ञापित पारदर्शी निविदा के माध्यम से काम पर रखा गया था, तथा हारने वाले बोलीदाता से अनियमितताओं की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई थी।
सीबीआई जांच ने निष्कर्ष निकाला कि पेशेवरों की आवश्यकता का मुख्य कारण सितंबर 2015 में अधिकारियों द्वारा मंत्री को लिखे गए नोट से उत्पन्न हुआ था, जिसमें उन्होंने आंतरिक विशेषज्ञता की अनुपस्थिति और बड़ी संख्या में रिक्तियों का उल्लेख किया था। इसके अलावा, स्मार्ट स्कूल, अस्पताल, क्लीनिक और सड़कों के पुनर्निर्माण जैसी कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भी लंबित थीं।
सीबीआई ने कहा कि जिस समय नियुक्तियां की गई थीं, उस समय आर्किटेक्ट के पदों पर लगभग 50% रिक्तियां थीं, और दिल्ली सरकार को प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना था। सीबीआई ने कहा कि जिन उच्च योग्यता वाले उम्मीदवारों को काम पर रखा गया, उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक, फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर तथा आंगनवाड़ी सहित 82 परियोजनाओं का प्रबंधन किया। सीबीआई ने निष्कर्ष निकाला कि भर्ती में कोई अनियमितता नहीं हुई थी और किसी ने कोई आर्थिक लाभ नहीं कमाया था।
जैन को और किन मामलों का सामना करना पड़ रहा है?
जैन दो अन्य मामलों का सामना कर रहे हैं: एक कथित आय से अधिक संपत्ति से संबंधित है, और दूसरा दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने की 571 करोड़ रुपये की परियोजना में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है।
डी.ए. मामला: जैन पर लोक सेवक के रूप में कार्य करते हुए 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 के बीच लगभग 1.62 करोड़ रुपये की आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।
सीसीटीवी मामला: इस वर्ष मार्च में, दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने जैन पर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) पर लगाए गए 16 करोड़ रुपये के जुर्माने को माफ करने के लिए 7 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया था। बीईएल दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगा रही थी। दोनों मामलों की सुनवाई दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत में चल रही है। दोनों में से किसी में भी अभी आरोप तय नहीं हुए हैं।
सत्येंद्र जैन मामले की टाइम लाइन-
14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 तक सत्येंद्र जैन पर चल-अचल संपत्ति अर्जित करने का आरोप।
30 मई, 2022 को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया।
17 नवंबर, 2022 को ट्रायल कोर्ट ने जैन की जमानत अर्जी खारिज की। जैन दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे।
6 अप्रैल, 2023 को हाई कोर्ट ने सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका जताते हुए जमानत देने से मना किया।
26 मई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने जैन को सर्जरी कराने के लिए मेडिकल ग्राउंड पर 10 महीने की अंतरिम बेल दी।
18 मार्च, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने जैन की रेगुलर बेल याचिका खारिज की। जिसके बाद जैन ने तिहाड़ जेल पहुंचे।
18 अक्तूबर, 2024 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को जमानत दी।
4 अगस्त, 2025 को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने वर्ष 2018 के PWD में कथित अनियमित नियुक्तियों और असंबंधित परियोजनाओं से भुगतान से जुड़े मामले में CBI की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी दी।
वहीं, 130वें संशोधन विधेयक को लेकर कपिल सिब्बल ने अमित शाह से सवाल पूछा है। पढ़ें…पूरी खबर।