बाबा सिद्दीकी की हालिया हत्या ने मुंबई की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है, जिससे उनके बेटे जीशान सिद्दीकी की राजनीतिक यात्रा भी प्रभावित हो रही है। जीशान बांद्रा ईस्ट से विधायक और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। अब न केवल अपने पिता की विरासत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि ईडी द्वारा की जा रही जांच के बीच अपनी राजनीतिक पहचान को भी चुनौती देने का सामना कर रहे हैं। बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद जीशान के लिए राजनीतिक संकट और सुरक्षा की चिंता दोनों बढ़ गई हैं। इस घटना ने उनके परिवार की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ऐसे में जीशान की आगे की रणनीतियों और राजनीतिक फैसलों पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।
जीशान सिद्दीकी, बाबा सिद्दीकी के बेटे, वर्तमान में बांद्रा ईस्ट से कांग्रेस के विधायक और मुंबई युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। जीशान ने अपने पिता के राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाते हुए इस सीट पर चुनावी सफलता हासिल की है। बाबा सिद्दीकी, जो पूर्व में कांग्रेस के एक प्रमुख नेता रहे हैं, 1999 से 2014 तक बांद्रा की विभिन्न विधानसभा सीटों से विधायक रहे।
मुश्किलों में फंसे जीशान सिद्दीकी
हाल में जीशान का नाम कुछ विवादों में भी सामने आया है। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा की जा रही जांच में उन पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने और उनके पिता ने अपने राजनीतिक पदों का गलत इस्तेमाल किया। यह जांच एसआरए (स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी) के तहत झुग्गी बस्तियों की पहचान और पुनर्विकास से संबंधित है, जो 2000 से 2004 तक बाबा सिद्दीकी के चेयरमैन रहने के दौरान शुरू हुई थी। यह मामला जीशान के राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
राजनीतिक करियर
जीशान सिद्दीकी का राजनीतिक करियर अपेक्षाकृत नया है, लेकिन उन्होंने युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनके पिता, बाबा सिद्दीकी, ने हाल ही में एनसीपी में शामिल होकर राजनीतिक तस्वीर में बदलाव किया। 32 वर्षीय जीशान ने अब तक अपने पिता के राजनीतिक नक्शेकदम पर चलते हुए विधानसभा में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन हाल के विवादों ने उनकी छवि को प्रभावित किया है।
बाबा सिद्दीकी की हत्या ने जीशान की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। शनिवार को बाबा सिद्दीकी पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई, जिसमें उनकी मौत हो गई। यह घटना न केवल जीशान के लिए व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि राजनीतिक अराजकता को भी उजागर करती है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, जीशान को अपने पिता की विरासत और अपनी राजनीतिक पहचान के लिए नई चुनौतियों का सामना करना होगा। यह हत्या तब हुई जब बाबा जीशान के कार्यालय से बाहर निकल रहे थे। जीशान एक फोन कॉल आने की वजह से बच गए।