कोरोना वायरस को आए हुए लगभग तीन साल होने वाले हैं, पर यह कहां से आया है? इस बारे में फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को भी कुछ साफ नहीं हो पाया है। महामारी की उत्पत्ति का पता लगाने में मदद के लिए डब्ल्यूएचओ की ओर से गठित स्पेशल ग्रुप ने कहा है कि इस बारे में और अध्ययन की जरूरत है।
ग्रुप ने कहा कि वायरस के लैबोरेट्री (प्रयोगशाला) से लीक होने के सिद्धांत पर और अधिक विस्तृत रूप से अध्ययन किया जाना चाहिए। समूह का यह रुख महामारी की उत्पत्ति के बारे में डब्ल्यूएचओ के शुरुआती मूल्यांकन से अलग है।
डब्ल्यूएचओ के स्पेशल ग्रुप ने गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि महामारी की उत्पत्ति कैसे हुई यह समझाने के लिए मुख्य डेटा अब भी उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, समूह ”सभी उचित परिकल्पनाओं के व्यापक परीक्षण को ध्यान में रखते हुए भविष्य में उपलब्ध होने वाले सभी वैज्ञानिक साक्ष्यों को अपने पास रखेगा।”
समूह ने कहा कि चूंकि पहले भी लैब से बीमारियां फैलने के मामले सामने आ चुके हैं, इसलिये इस सिद्धांत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दरअसल, पिछले साल डब्ल्यूएचओ इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि इस बात की ”बेहद कम आशंका” है कि कोविड-19 एक लैब से इंसानों में फैला था।
समूह ने कहा कि चूंकि पहले भी लैब से बीमारियां फैलने के मामले सामने आ चुके हैं, इसलिये इस सिद्धांत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दरअसल, पिछले साल डब्ल्यूएचओ इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि इस बात की ”बेहद कम आशंका” है कि कोविड-19 एक लैब से इंसानों में फैला था।
इस बीच, डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि आने वाले समय में कोरोना वायरस की कई छोटी लहर आने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। चूंकि, कोरोना के बीए.4 और बीए.5 ओमिक्रॉन सब वेरियंट अपनी मौजूदगी बनाए हुए हैं और इस बीच देश में कोरोना के मामलों में तेजी भी आने लगी है, इस लिहाज से स्वामीनाथन ने कहा है कि हो सकता है कि यह कोरोना वायरस की एक छोटी लहर की शुरुआत हो।
वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई को इंटरनल मेडिसिन मैक्स हेल्थकेयर से जुड़े डॉक्टर रॉमेल टिक्कू ने बताया, भारत में कोरोना की चौथी लहर तब तक नहीं आएगी, जब तक कोरोना का नया वेरियंट नहीं आता है और वह भी पिछले वाले वेरियंट से अलग हो। डॉक्टर ने यह भी संकेत दिए कि पहले जैसे चीजें सामान्य होने की वजह से कोरोना के मामलों में इजाफा देखा जा सकता है। बकौल डॉक्टर, “लोग घूमने और छुट्टियां मनाने के लिए जाने लगे हैं। बाकी चीजें भी धीरे-धीरे सामान्य हो चली हैं, लिहाजा कुछ सूबों में कोरोना मामलों में बढ़ोतरी को आने वाले दिनों में देखा जा सकता है।”
आ गया जानवरों के लिए विकसित भारत का पहला कोविड टीकाः इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानवरों के लिए विकसित किए गए देश के पहले कोविड रोधी टीके ‘एनोकोवैक्स’ को गुरुवार को जारी किया। इस टीके को हरियाणा स्थित आईसीएआर-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स (एनआरसी) की ओर से तैयार किया गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एक बयान में कहा कि एनोकोवैक्स जानवरों के लिए एक निष्क्रिय सार्स-कोव-2 डेल्टा (कोविड-19) टीका है और एनोकोवैक्स से मिलने वाली प्रतिरक्षा सार्स-कोव-2 के डेल्टा और ओमीक्रोन दोनों स्वरूपों को बेअसर करती है। टीके में निष्क्रिय सार्स-कोव-2 (डेल्टा) एंटीजन है, जिसमें अलहाइड्रोजेल एक सहायक के रूप में है व यह कुत्तों, शेरों, तेंदुओं, चूहों और खरगोशों के लिए सेफ है।
तोमर ने आईसीएआर-एनआरसी की ओर से जानवरों के लिए विकसित टीके और निदान किट को डिजिटल माध्यम से जारी करने के बाद कहा, “वैज्ञानिकों के अथक योगदान के चलते देश आयात करने के बजाय अपने स्वयं के टीके विकसित करने में आत्मनिर्भर है। यह वास्तव में एक बड़ी उपलब्धि है।” आईसीएआर देश का प्रमुख कृषि अनुसंधान संस्थान है जो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।