Who is Sunil Singh: बिहार विधानपरिषद के सदस्य और RJD के नेता सुनील कुमार सिंह को बड़ा झटका लगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सदन के अंदर मिमिक्री करने के आरोप में उनकी सदस्यता छीन ली गई। यह पहली बार है जब किसी सीएम का मजाक उड़ाने पर ऐसा फैसला हुआ है। RJD के 54 वर्षीय नेता सुनील सिंह को पार्टी ने साल 2020 में एमएलसी के तौर पर नामित किया था। उन्होंने 12 फरवरी को सीएम नीतीश कुमार के बोलने के लहजे को लेकर उनकी नकल की थी, जिसके चलते उनके खिलाफ एक्शन हुआ।

तत्कालीन परिषद के अध्यक्ष देवेश चंद्र ठाकुर का ध्यान राजद एमएलसी के गलत व्यवहार की ओर गया, जो पहले भी कई मौकों पर सीएम के खिलाफ हमलावर हो चुके हैं। वे ये भी तंज कसते थे कि “नीतीश लोगों द्वारा सीधे चुने गए बिना 18 वर्षों से सीएम हैं।” सुनील सिंह के निष्कासन का प्रस्ताव उच्च सदन में ध्वनिमत से पारित हो गया। इससे एक दिन पहले जदयू नेता रामवचन राय की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने अपने कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

राबड़ी देवी ने किया फैसले का विरोध

विधान परिषद ने सुनील सिंह को निष्कासित कर दिया, हालांकि सदन में विपक्ष की नेता (एलओपी) राजद की राबड़ी देवी ने इस कदम का विरोध किया और कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए, लेकिन सभापति ने ऐसा करने से मना कर दिया, जिसके कारण सिंह को अपने निर्धारित कार्यकाल की समाप्ति से दो साल पहले ही अपनी सदस्यता खोनी पड़ी।

सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अक्सर मुझे बर्बाद करने की धमकी देते थे क्योंकि मैंने अक्सर उनकी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाए हैं। वह मुझे परिषद से बाहर करवाने का मौका तलाश रहे थे। अप्रैल में सीएम हाउस में मुझे एमएलसी के पद से हटाने की साजिश रची गई थी। सुनील सिंह का दावा है कि उन्हें सीएम की नकल करना याद नहीं है, लेकिन ऐसा करना भी कोई अपराध नहीं है।

सुनील सिंह ने क्या दी सफाई

सुनील सिंह ने कहा कि हम अक्सर लोगों को पीएम के तौर-तरीकों की नकल करते हुए देखते हैं और सांसद उन पर हमला करते हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। आरजेडी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जो दिख रहा है, उससे कहीं ज़्यादा है। आरजेडी के एक नेता ने कहा कि सुनील सिंह का निष्कासन बेहद निंदनीय है, और बिहार के विधायी इतिहास में यह काला अध्याय है, जैसा कि हमारी नेता राबड़ी देवी ने कहा है, सिंह ने शायद अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भी काम किया है। एमएलसी बनने के बाद से ही वे सीएम पर हमला करने के मौके तलाशते रहते हैं।

लालू यादव के करीबी हैं सुनील सिंह

खास बात यह है कि सुनील सिंह का यह रवैया तब भी जारी रहा, जब नीतीश कुमार अगस्त 2022 में एनडीए से अलग होकर महागठबंधन सरकार में सीएम बन गए, जिससे जेडी(यू) और आरजेडी गठबंधन के साझेदार बन गए। सिंह ने तब सोशल मीडिया पर नीतीश पर परोक्ष हमला किया था। आरजेडी के शीर्ष नेता अक्सर उन्हें ऐसा न करने की सलाह देते थे, लेकिन पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद से उनकी निकटता का मतलब था कि वे अपनी बात मनवा सकते थे। ऐसा कहा जाता है कि आरजेडी के विधानसभा में एलओपी तेजस्वी यादव को भी सुनील सिंह का नीतीश के खिलाफ विरोध का यह अंदाज पसंद नहीं आता है।

CBI ने की थी छापेमारी

बता दें कि साल 2022 के अगस्त महीने में सुनील सिंह के ठिकानों पर सीबीआई ने रेड भी मारी थी। आईआरसीटीसी वाले कथित भ्रष्टाचार के केस में सुनील सिंह का नाम भी शामिल है। लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सिंह के 2020 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनकी संपत्ति 23 करोड़ रुपये से अधिक थी।

जेडीयू के एक नेता ने इस घटनाक्रम को लेकर कहा कि सुनील सिंह ने नीतीश कुमार की आलोचना में हद पार कर दी है, जबकि लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव सीएम की आलोचना करने की लिमिट क्रॉस नहीं करते हैं। सुनील सिंह द्वारा नीतीश कुमार पर लगातार हमले कर बिल्कुल भी पसंद नहीं आया, क्योंकि वे सीएम हैं।

जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने सुनील सिंह के निष्कासित होने को लेकर कहा कि इस मामले में हर विधायी प्रक्रिया का पालन किया गया। आचार समिति ने पाया कि सिंह ने कोई खेद प्रकट नहीं किया, जबकि उनके सहयोगी और अपराध में भागीदार कारी सोहैब ने उसी कदाचार के लिए माफ़ी मांगी और उन्हें केवल दो दिनों के लिए निलंबित किया गया। सिंह ने अपनी विधायी सीमाओं को पार कर लिया था और उन्हें उचित दंड दिया गया।