सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को साफ कर दिया है कि घर में नजरबंद रहने के दौरान उन्हें दी गई सुरक्षा का खर्च उन्हें उठाना होगा। कोर्ट ने कहा कि वे सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा किए गए खर्च से बच नहीं सकते, क्योंकि उन्होंने खुद ही हाउस अरेस्ट की मांग की थी। आइए अब जानते हैं कि गौतम नवलखा कौन हैं।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे सामाजिक कार्यकर्ता पीपुल्स यूनियन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स के सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने मुंबई से इकॉनामिक्स और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है। गौतम नवलखा ने अपनी गिरफ्तारी से पहले डिजिटल न्यूजपोर्टल न्यूजक्लिक के साथ काम किया था। वह 30 सालों से ज्यादा समय तक अकादमिक पत्रिका इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के साथ रहे। वह डेज एंड नाइट्स इन द हार्टलैंड ऑफ रिबेलियन बुक के लेखक भी हैं।
वैसे, नवलखा की सबसे बड़ी पहचान है जम्मू-कश्मीर में सेना की तैनाती के खिलाफ उनकी आवाज। जनवरी 2014 में एक सेमिनार में भाग लेने श्रीनगर गए नवलखा ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर का सैन्यीकरण और सेना को दी गई ज्यादा शक्तियां लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार राजनीतिक फैसले लेने में अपनी भूमिका खो रही है।
क्या है भीमा कोरेगांव केस
अब हम बात करेंगे कि गौतम नवलखा को किस मामले में गिरफ्तार किया गया। दरअसल एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम रखा गया था। इस दिन दिवस मनाने के लिए लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी। भीमा कोरेगांव के विजय स्तंभ में शांतिपूर्वक कार्यक्रम चल रहा था। अचानक से भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला कर दिया। इस घटना के बाद संगठनों ने 2 दिनों तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद,सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया गया। इसके बाद फिर से तोड़फोड़ और आगजनी हुई। भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में केस दर्ज किया और पांच लोगों को अरेस्ट किया।
भीमा कोरेगांव मामले में एनआईए ने नवलखा को गिरफ्तार किया था। एनआईए ने अपने 10,000 पन्नों की चार्जशीट में कहा कि नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों, पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी और माओवादी चरमपंथियों के संपर्क में था। एनआईए ने कहा कि उसे नवलखा और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के सदस्य गुलाम नबी फई के बीच संबंध मिले हैं। एजेंसी ने आरोप लगाया कि नवलखा ने कश्मीरी अमेरिकी परिषद को संबोधित करने के लिए 2010-11 के दौरान तीन बार अमेरिका का दौरा किया।
हाउस अरेस्ट का खर्च उठाना होगा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भाटी की पीठ को बताया कि नवलखा ने हिरासत के दौरान 1 करोड़ 64 लाख रुपये का खर्च उठाया था, जिसे उन्हें चुकाना होगा। बेंच ने कहा कि आप जिम्मेदारी से बच नहीं सकते क्योंकि आप ही हैं जिन्होंने सुरक्षा मांगी है। नवलखा की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि हमें भुगतान करने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन मुद्दा लेन-देन का सही हिसाब-किताब रखना है। एनआईए ने कहा कि नवलखा ने पहले 10 लाख रुपये का खर्च उठाया था लेकिन वह अब ऐसा नहीं कर रहे हैं।