केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी विधायक अभय सिंह की सुरक्षा में इजाफा किया है। उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है। अभय सिंह पिछले कुछ महीनों में अपने सियासी कदमों के चलते चर्चा में रहे हैं, क्योंकि उन्होंने राज्यसभा चुनावों के दौरान बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाला था। इसको लेकर आरोप भी लगे थे कि बीजेपी ने धन बल और बाहुबल के जरिए सपा के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की है।
अभय सिंह की सियासी सफर की बात करें तो वे अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से विधायक हैं। उन्होंने बीएसपी के साथ अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी लेकिन फिर सपा में चले गए हैं। 2022 में वे दूसरी बार विधायक बने थे, उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी आरती तिवारी को 13 हजार वोटों के अंतर से हराया था। 2012 में वे इस सीट से आरती तिवारी के पति खब्बू तिवारी को भी हरा चुके हैं।
गौरतलब है कि 7 विधायकों ने एनडीए के राज्यसभा प्रत्याशी के समर्थन में वोट डाला था, उनमें से एक अभय सिंह भी थे। अभय सिंह मूल रूप से जौनपुर से हैं और वे पूर्व पीएम वीपी सिंह के दूर के रिश्तेदार भी बताए जाते हैं।
मुख्तार अंसारी के रहे हैं करीबी
अभय सिंह को लेकर यह भी कहा जाता है कि माफिया रहे पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी के भी करीबी है। लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से प्रदेश की राजनीति तक का सफर अभय सिंह ने मुख्तार के संरक्षण में ही हुआ था, जो कि उनके ऊपर काफी सवालिया निशान भी खड़े करता है।
गौरतलब है कि जब यूपी विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना सभी विधायकों को अयोध्या में राम मंदिर दर्शन कराने ले गए थे, तो उस दौरान अभय सिंह अयोध्या गए थे, जबकि सपा ने विधायकों के अयोध्या जाने से मना किया था। अभय सिंह के राम मंदिर जाने के कारण ही अखिलेश और उमके बीच टकराव हो गया था।
विवादों में रहा है नाम
बता दें कि लखनऊ के जेलर आरके तिवारी की राजभवन के सामने गोली मारकर हत्या करने के मामले में अभय आरोपी रह चुके हैं। इतना ही नहीं, लखनऊ जेल में अभय और खब्बू तिवारी के बीच विवाद हुआ था। वहीं विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में भी अभय सिंह का नाम चर्चा में आया था।
ऐसे में अभय सिंह की सुरक्षा में विस्तार को लेकर माना जा रहा है कि वे बीजेपी का रुख कर सकते हैं, इसीलिए उनके फिर से बीजेपी में जाने की संभावना है।