Maharashtra Politics: शिवसेना से अलग होने के बाद जून 2022 में एमवीए सरकार के गिरने की चर्चा एक बार फिर से सुर्खियों में बनी हुई है। इस बार इसके केंद्र में एक 62 साल का शख्स है। वह लंबे वक्तसे राज्य की पॉलिटिक्स के हाशिये पर काम करता रहा है। महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने आरोप लगाया कि उस समय कई विधायकों के एकनाथ शिंदे के साथ में जाने का कारण यह था कि वे हनीट्रैप में फंस गए थे और इसके पीछे मास्टरमाइंड प्रफुल लोढ़ा था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने आरोप लगाए थे। इसके बाद पुलिस ने दो बार प्रफुल को हिरासत में लिया। मुंबई के साथ-साथ पुणे में भी उनके खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। प्रफुल लोढ़ा राजनीतिक नेताओं के साथ फोटों में नजर आया है। वह एनसीपी और वीबीए के कार्यकाल को छोड़कर ज्यादातर बीजेपी से जुड़े रहे हैं।
पुलिस ने प्रफुल को किया अरेस्ट
साकीनाका पुलिस ने लोढ़ा को 7 जुलाई को लोढ़ा को अरेस्ट किया था। जब वह जेल में था तोएमआडीसी पुलिस ने 17 जुलाई को उसे एक अन्य मामले में हिरासत में लिया था। यह मामला एक 19 साल की महिला के यौन उत्पीड़न से जुड़ा हुआ था। लोढ़ा पर दो अलग-अलग पोक्सो के मामले दर्ज हैं। अब, पुणे पुलिस ने भी रेप की इसी तरह की धाराओं के तहत उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
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मुंबई पुलिस ने जलगांव, जामनेर और पहुर में लोढ़ा की प्रॉपर्टी पर छापेमारी के दौरान लैपटॉप, पेन ड्राइव और अन्य चीजें जब्त की हैं। सबसे पहले यह मुद्दा महाराष्ट्र की विधानसभा में कांग्रेस विधायक और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उठाया था। उन्होंने महायुति सरकार से यह क्लियर करने की मांग की थी कि क्या कोई हनीट्रैप कैंपेन चलाया गया था। इसमें आईएएस अधिकारी और वर्तमान मंत्री शामिल थे।
एक दर्जन से ज्यादा विधायकों से किया संपर्क – राउत
रेवेन्यू मिनिस्टर चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि गृह विभाग और पुलिस मामले की जांच में जुटी हुए हैं। शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने तब दावा किया कि पार्टी के बंटवारे से पहले लोढ़ा ने शिवसेना के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों और उसके चार सांसदों को वीडियो के जरिये से ब्लैकमेल किया। उन्होंने कहा, ‘यह ईडी या सीबीआई का दबाव नहीं था।’ उन्होंने कहा कि लोढ़ा के टॉप बीजेपी लीडर्स के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।
एक वक्त बीजेपी के जामनेर विधायक गिरीश महाजन के करीबी माने जाने वाले लोढ़ा ने 2019 में उन पर गलत काम करने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। महाजन ने जलगांव क्षेत्र के मरीजों को मुंबई में इलाज दिलाने के लिए आरोग्य दूत नाम की पहल चलाई थी और कहा जाता है कि लोढ़ा इसमें सक्रिय रूप से शामिल थे।
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शरद पवार गुट से जुड़ा रहा प्रफुल
बीजेपी का साथ छोड़ने के तुरंत बाद एनसीपी का दामन थामने वाले लोढ़ा अजित पवार के अलग होने और महायुति में शामिल होने के बाद भी शरद पवार गुट के साथ रहे। इससे पार्टी के ज्यादातर विधायक उनसे छिटक गए। लेकिन, पिछले साल लोढ़ा ने शरद पवार की पार्टी एनसीपी छोड़ दी। इसके तुरंत बाद लोढ़ा वीबीए में शामिल हो गए। उसने उन्हें पिछले साल के लोकसभा चुनावों के लिए टिकट भी दिया। हालांकि, इसे स्वीकार करने के बाद लोढ़ा ने पांच दिनों के अंदर अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। बाद में, लोढ़ा बीजेपी में लौट आए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जलगांव में एक कार्यक्रम में उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे।
महाजन ने कहा कि वह अब भारतीय जनता पार्टी में नहीं है और पिछले कुछ सालों से अलग-अलग दलों के नेताओं के साथ उनकी फोटो सामने आती रही हैं। महाजन ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि लोढ़ा उनके करीबी थे। उन्होंने कहा, ‘जो फोटो वायरल की जा रही है, वह लगभग 10 साल पुरानी है। उस समय लोढ़ा बीजेपी में थे और पार्टी के लिए काम कर रहे थे। लेकिन बाद में चीजे बदल गईं।’
सच्चाई देर-सवेर सामने आ ही जाएगी – खडसे
लोढ़ा पर लगे आरोपों पर महाजन ने कहा, ‘चाहे हनीट्रैप के दावे हों या उनकी संपत्ति में बढ़ोतरी को लेकर संदेह, ये सब जांच के दौरान सामने आ जाएंगे।’ साथ ही, बीजेपी विधायक ने पटोले और राउत द्वारा किए गए हनीट्रैप के दावों पर सवाल उठाए। खडसे ने पूछा कि हनीट्रैप कांड की चर्चा शुरू होते ही लोढ़ा के खिलाफ एफआईआर क्यों दर्ज की गईं। उन्होंने आगे कहा, ‘अगर लोढ़ा का अतीत संदिग्ध है, तो महाजन ने उन्हें बीजेपी में क्यों शामिल किया? अगर लोढ़ा कभी महाजन के विरोधी थे, तो क्या बदल गया? क्या इसका हनीट्रैप से कोई संबंध है? सच्चाई देर-सवेर सामने आ ही जाएगी।’ क्या फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में शामिल होने के लिए ऑफर दिया?