केंद्रीय पुलिस फोर्स में भर्ती के लिए आयोजित एक प्रवेश परीक्षा में पूछा गया एक सवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र के बीच विवाद का एक और मुद्दा बन गया है। ममता बनर्जी ने आज आरोप लगाया कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), जो सिविल और सशस्त्र पुलिस सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा आयोजित करता है, “बीजेपी द्वारा दिए गए” सवाल पूछ रहा है और एक निष्पक्ष संस्था के रूप में इसकी नींव को कमजोर कर रहा है।

बता दें कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की भर्ती परीक्षा में 200 शब्दों के सवालों में से एक में उम्मीदवारों को “पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा” पर एक रिपोर्ट लिखने के लिए कहा गया था। इस पर ममता बनर्जी ने कोलकाता में मीडिया से कहा, “यूपीएससी बीजेपी जैसे सवाल पूछ रहा है। यूपीएससी एक निष्पक्ष संस्था हुआ करती थी लेकिन बीजेपी इसे सवाल पूछने के लिए दे रही है। यहां तक ​​कि यूपीएससी के पेपर में किसानों के विरोध पर सवाल राजनीति से प्रेरित था।” उन्होंने कहा, “बीजेपी यूपीएससी जैसे संस्थानों को नष्ट कर रही है।”

बंगाल में COVID-19 प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा करते हुए सीएम ममता ने ये टिप्पणी की है। मालूम हो कि इस साल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में सत्ता बरकरार रखी, हालांकि बनर्जी खुद नंदीग्राम में चुनाव हार गईं। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि राज्य चुनाव के बाद की हिंसा को रोकने में राज्य सरकार नाकाम रही। यही नहीं हिंसा में विशेष रूप से बीजेपी समर्थकों और नेताओं को निशाना बनाया गया।

बनर्जी की पार्टी टीएमसी और बंगाल सरकार का कहना है कि चुनाव के बाद की हिंसा की रिपोर्टों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। पिछले महीने, तृणमूल सरकार के खिलाफ, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर गठित एक समिति ने कहा था कि राज्य की स्थिति “कानून के शासन” के बजाय “शासक के कानून” की अभिव्यक्ति जैसी थी। ”

इसके बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि समिति में एक व्यक्ति “बीजेपी का आदमी” था, और दावा किया कि चुनाव के बाद की हिंसा की कहानी बीजेपी द्वारा गढ़ी गई थी। बनर्जी ने जुलाई में कोलकाता में मीडिया से कहा था, “एनएचआरसी का एक सदस्य बीजेपी का आदमी निकला है।”

हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मई में भड़की हिंसा को ममता बनर्जी सरकार द्वारा खारिज किये जाने की आलोचना की थी।