जम्मू-कश्मीर पर लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान से कांग्रेस पार्टी घिर गई है। चौधरी भी अपनी पार्टी के भीतर और बाहर निशाने पर आ गए। अपने भाषण के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र का संदर्भ उठाया। तब हैरानी से उन्हें देख रहीं यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बाद में उन्हें जमकर डांट पिलाईं। बाद में चौधरी ने सफाई दी कि वे सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहे थे और उनके बयान को गलत समझा गया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को सरकार से जानना चाहा कि जम्मू-कश्मीर देश का आंतरिक विषय है या द्विपक्षीय? साथ ही कहा कि 1948 से संयुक्त राष्ट्र राज्य संबंधी स्थिति की निगरानी कर रहा है। गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा रखे गए संकल्प पर बहस में उन्होंने कहा, ‘आप कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर देश का आंतरिक विषय है। 1948 से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) राज्य संबंधी स्थिति की निगरानी कर रहा है, यह बुनियादी प्रश्न है और सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। आप बताएं कि यह आंतरिक मामला है या द्विपक्षीय।’ सत्तापक्ष के सदस्यों ने चौधरी के इस बयान का विरोध किया। चौधरी ने शिमला समझौते और लाहौर समझौते को लेकर भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।

जब अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कश्मीर पर सवाल उठा रहे थे तो सोनिया उनके बयान काफी असहज महसूस कर रही थीं। सोनिया उन्हें चुपचाप देख रही थीं। बाद में जब सदन में चौधरी के बयान से बवाल होने लगा तब सोनिया पीछे घूमकर कुछ हैरानी प्रकट करती नजर आईं। हालांकि इस दौरान राहुल गांधी चुपचाप चौधरी को सुन रहे थे। कांग्रेस नेता के बयान से सोनिया साफ नाराज नजर आ रही थीं। बाद में सोनिया की डांट के बाद अधीर ने सफाई दी।
अधीर ने कहा, ‘हमारी एक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शिमला समझौता किया, दूसरे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर समझौता किया और अभी हाल में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से कहा कि यह द्विपक्षीय मामला है।’ उन्होंने पूछा, ‘यह द्विपक्षीय मुद्दा है तो अचानक आंतरिक मसला कैसे हो गया?’

इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने पूछा कि जैसा कि अभी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर का मसला संयुक्त राष्ट्र में है और संरा इस पर निगरानी रख रहा है तो इस मामले में सरकार कैसे विधेयक ला रही है? उन्होंने कहा कि मुझे कांग्रेस से कहना है कि इस मामले में उन्हें अपना रुख साफ करना चाहिए। इसका कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि चौधरी का यह आशय नहीं था। इस पर अमित शाह ने दोबारा अधीर रंजन चौधरी से बात रखने का आग्रह किया। चौधरी ने कहा कि वे इस विषय पर सरकार से सिर्फ स्पष्टीकरण चाहते हैं।  बाद में चौधरी ने सफाई दी कि उन्हें गलत समझा गया। उन्होंने कहा कि इसी संसद में 1994 में लोकसभा और राज्यसभा ने आम सहमति से यह प्रस्ताव पारित किया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को भी भारत में शामिल किया जाएगा। तो अब पीओके का क्या स्टेटस है? कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं यही सरकार से पूछ रहा था, इसमें गलत क्या है?