कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों में टकराव जारी है। जहां केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया है, वहीं किसान संगठन भी कृषि संसद के जरिए नेताओं को घेरने की कोशिश में जुटे हैं। हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी दी थी कि अगर यूपी सरकार किसानों की समस्याओं का हल नहीं करती, तो वे लखनऊ कूच करेंगे। इस बीच टिकैत ने ये भी कहा है कि योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी के बीच सबकुछ ठीक नहीं है और दोनों नेताओं की आपस में लड़ाई चल रही है।
क्या बोले राकेश टिकैत?: दरअसल, आज तक के टीवी डिबेट में जब एंकर ने राकेश टिकैत से पूछा कि योगी सरकार के लिए यूपी नाक की लड़ाई है। वहां भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है। योगी और मोदी के लिए चुनाव काफी बड़ा है। इस पर टिकैत ने कहा, “इनकी चल रही आपस की लड़ाई, योगीजी और मोदीजी की। योगी को प्रधानमंत्री बनना है, इन्हें बनने नहीं देना। ये तो आपस की लड़ाई है। इसमें हम क्या कर सकते हैं।
टिकैत बोले- ‘हम लखनऊ सिर्फ बात करने जा रहे’: इसके बाद जब एंकर ने पूछा कि आप लखनऊ गए हैं, तो कुछ करने ही गए हैं न, क्या करने गए हैं? इस पर टिकैत ने कहा कि हम तो लखनऊ इसलिए गए हैं, क्योंकि चार साल से गन्ने का भाव नहीं बढ़ा। क्या पांच साल से देश में कोई महंगाई नहीं बढ़ी। उत्तर प्रदेश में बिजली का रेट पूरे देश में सबसे महंगा है। हम तो वो बात करने के लिए लखनऊ गए हैं।
हम तो ये बात करने गए हैं कि गेहूं कि किसी भी फसल की खरीद नहीं हुई है। हम तो बात करने गए हैं। भाई हमारी भी बात सुन लो। हमारा भी काम करो आप। क्यों खामख्वाह यहां पर भी आंदोलन चलवाओगे। हम दिल्ली की तरह यहां भी आकर बैठें। एक मोर्चा यहां पर भी खोलें। फिर हम भोपाल में जाएं, वहां भी खोलें, फिर हम पंजाब जाएं। एक ही जगह रहने दो हमारी लड़ाई, भारत सरकार से। हमारे जो मसले हैं, उस पर हैं। राज्य की जो नीतियां हैं, उस पर इन्हें काम करना चाहिए।
‘लखनऊ के जरिए बनाएंगे दिल्ली पर दबाव’: टिकैत के इस जवाब पर एंकर ने पूछा- कुछ तो आपने दिमाग लगाया होगा कि जो बात ये दिल्ली से नहीं सुन रहे हैं, वो ये लखनऊ से दबाव बनाने पर सुनेंगे। ये समझाइए कि लखनऊ से कैसे दबाव बनेगा कि दिल्ली में लोग सुनेंगे। भाकियू नेता ने इस पर उदाहरण देते हुए कहा- “ये जो पुलिसवाले होते हैं, अगर एक भाई का किसी केस में नाम आ गया, तो दूसरे भाई को थाने में बिठा लेते हैं, जेल तो भेजते नहीं हैं। थाने में बिठा लें, तो हम भी करेंगे बात। दिल्ली वाले नहीं मान रहे तो इनके दूसरे भाई-बंधु हैं, उन पर दबाव बनाएंगे कुछ। उनसे करेंगे बात।