बेंगलुरु में चल रही विपक्षी दलों की बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार हो रही है। पटना में हुई पहले दौर की बैठक के बाद अब बेंगलुरु में दूसरे चरण की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में 26 दल शामिल हुए हैं। इस बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया जाना है। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में यूपीए का नया नाम रखे जाने पर भी चर्चा की जा रही है। सवाल उठ रहा है कि क्या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का नाम बदला जाएगा? आखिर यूपीए को बनाने की जरूरत क्यों पड़ी थी और वह इसके नए नाम पर चर्चा क्यों हो रही है, इसे विस्तार से समझते हैं।
कब बना यूपीए?
2004 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस चुनाव में बीजेरी और उसके सहयोगी दलों की 181 सीटें और कांग्रेस और उसके समर्थक दलों को 218 सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस ने लेफ्ट पार्टियों का समर्थन मांगा और यूपीए की नींव डाली। लेफ्ट फ्रंट के 59 सांसद ने यूपीए का बाहर से समर्थन देने का वादा किया। समाजवादी पार्टी के 39 सांसद के साथ बहुजन समाजवादी पार्टी के 19 सांसदों ने भी यूपीए का समर्थन किया। पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने केंद्र में गठबंधन की सरकार चलाने के लिए सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम बनाया। यूपीए की सरकार में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। यूपीए-1 की सरकार 2004 से 2009 तक चली। हालांकि साल 2008 में जब भारत और अमेरिका के बीच में सिविल न्यूक्लियर डील हुई तो लेफ्ट पार्टी ने यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद नो कॉन्फिडेंस मोशन लाया गया। हालांकि यूपीए की सरकार गिरने से बच गई।
यूपीए-2 पर लगे घोटालों के कई आरोप
2009 के लोकसभा चुनाव में भी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। यूपीए को 206 सीट पर जीत मिली तो वहीं एनडीए 116 सीटों पर सिमट गया। बाहरी समर्थन लेकर यूपीए की फिर सरकार बनी और मनमोहन सिंह ने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। यूपीए-2 सरकार पर बीजेपी ने घोटाले के कई आरोप लगाए। इसी दौरान मनमोहन सरकार पर 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स में घोटाला करने का आरोप लगा। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले कई पार्टी यूपीए से गठबंधन तोड़कर चुनाव मैदान में अकेले उतरीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए सिर्फ 60 सीट जीत पाई। इसके बाद से ही केंद्र में एनडीए की सरकार है। साल 2019 में यूपीए 91 सीट ही जीत पाई वहीं कांग्रेस पार्टी सिर्फ 52 सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी।
राज्य में कैसा प्रदर्शन कर रहा है यूपीए गठबंधन?
2014 में हुए तीन राज्य चुनाव में यूपीए गठबंधन सिर्फ एक चुनाव ही जीत पाई थी। यूपीए ने 2015 से 2023 के बीच में हुए विधानसभा चुनाव में से सिर्फ तीन राज्यों में ही जीत दर्ज की है। वहीं यूपीए की सरकार अभी 7 राज्यों में है। मौजूद वक्त की बात करें तो यूपीए में 20 से अधिक पार्टियां गठबंधन में है। बेंगलुरू में हो रही बैठक में 26 दलों के नेता शामिल हुए हैं।