सरकार भले ही कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुकी हो, लेकिन किसान घर वापस जाने को तैयार नहीं है। किसान, अब एमएसपी के लिए पूरी तरीके से अडिग बने हुए हैं, और किसानों की ये मांग एक तरह से सरकार के लिए गले की फांस भी बनती दिख रही है।
केंद्र सरकार को लग रहा था कि जब वो तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करेगी तो किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि ये तो सिर्फ एक मांग थी, अभी कई और मांगों पर सरकार को फैसला लेना है। जिसमें से एमएसपी एक मुद्दा है। किसानों का कहना है कि एमएसपी को कानूनी तौर पर सरकार लागू करे। किसान भी जानते हैं कि अगर ये मांग अभी पूरी नहीं हुई तो फिर से इतना बड़ा आंदोलन खड़ा करना मुश्किल होगा।
क्या है एमएसपी- किसी भी फसल पर एमएसपी किसानों के लिए एक गारंटी का काम करती है। इसका मतलब है कि सरकार ने जो खरीद मूल्य निर्धारित कर दिए हैं, उससे कम पर किसान की फसल नहीं बिकेगी। अगर बाजार में रेट कम है तो सरकार वो अनाज खुद खरीदेगी। हालांकि इसका लाभ देश के काफी कम किसानों को ही मिल पाता है।
जटिल मांग- किसानों की यह मांग काफी जटिल मानी जाती रही है। अभी के समय में सरकार सिर्फ 23 फसलों पर एमएसपी देती है। एमएसपी का मसला ऐसा है जिस पर कृषि विशेषज्ञ और अर्थशास्त्रियों के बीच भी आमराय आसानी से बनती नहीं दिखी है। कुछ का जहां मानना है कि एमएसपी पर कानून बनने से ही छोटे किसानों को उपज का लाभ मिल पाएगा, वहीं ऐसा नहीं मानने वाला वर्ग भी काफी बड़ा है।
सरकार की कमजोर नब्ज- सरकार के लिए एमएसपी पर कानून बनाना इतना आसान नहीं है, लेकिन होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में किसानों की बड़ी भूमिका है। खासकर यूपी, पंजाब और उत्तराखंड में। इन तीनों राज्यों को मिलाकर किसान 314 सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी में ही किसान 210 सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। यही सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी दिख रही है।
सरकार इस चुनाव को 2024 के लिए भी अपनी तैयारी मान कर चल रही है, खासकर यूपी में। कई बार अमित शाह के साथ – साथ और भाजपा नेता भी 2024 के लोकसभा चुनाव के नाम पर यूपी में भाजपा को मजबूत बनाने के लिए जनता से समर्थन मांगते देखे जा रहे हैं। कुछ सर्वे में भी बीजेपी को यूपी में नुकसान होने की बात कही जा रही है।
ऐसे में किसानों को नाराज करने का जोखिम बीजेपी नहीं ले सकती है। यही कारण है कि कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को इस चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन एमएसपी का मुद्दा ऐसा है जिसमें मोदी सरकार सीधे फैसले नहीं ले सकती है, और अगर इसका सामाधान नहीं निकला तो किसान आंदोलन जारी रहेगा, जो सरकार वापसी में भाजपा की राह में रोड़ा बन सकता है।