What Is Aparajita Bill: पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को अपराजिता बिल सर्वसम्मति से पास हो गया। हालांकि, भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखा। जिसे सदन ने स्वीकार नहीं किया। जिसको लेकर सदन में हंगामा भी हुआ। वहीं ममता बनर्जी ने इस बिल को ऐतिहासिक बताया। पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार-हत्या के बाद टीएमसी सरकार ने विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है।
अपराजिता बिल को लेकर विधानसभा में क्या हुआ?
ममता सरकार इस बिल को इसी स्वरूप में पेश करना चाहती है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस बिल को जल्द से जल्द लागू किया जाए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल को ममता सरकार जल्दबाजी में लेकर आई है। शुभेंदु ने कहा कि बिल को लेकर मेरा पूरा समर्थन है, लेकिन हमें यह नहीं मालूम कि इसे पेश करने की प्रक्रिया को पूरा किया गया या नहीं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल इस पर जल्द से जल्द साइन करें ताकि यह अमल में आए।
सीएम ममता ने विधेयक के बारे में क्या कहा?
अपराजिता विधेयक पेश किए जाने के बाद सीएम ममता बनर्जी ने विधेयक के पक्ष में बात की और इसे “एक आदर्श और ऐतिहासिक” बताया। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक के कानून बन जाने के बाद राज्य पुलिस की एक विशेष इकाई – ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ का गठन किया जाएगा। बता दें, अपराजिता महिला और बाल विधेयक ( पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) विधेयक 2024′ में बलात्कार के दोषियों को मृत्युदंड देने का प्रस्ताव है।
नए बलात्कार विरोधी विधेयक के बारे में बात करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह चाहती थीं कि केंद्र सरकार एक कड़ा कानून लाए, जो नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पहले नरेंद्र मोदी से इस्तीफा मांगिए। बंगाल को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। कुछ लोग कह रहे हैं कि राज्य सरकार कानून नहीं ला सकती। मैं उनसे कहती हूं कि राज्य सरकार कानून ला सकती है।
अपराजिता बिल की खास बातें-
- ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ इस कानून का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को शामिल करके महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है।
- इसमें हाल में लागू भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 को पश्चिम बंगाल राज्य में उनके लागू करने के संबंध में संशोधित करने का प्रस्ताव है, तााकि सजा को बढ़ाया जा सके तथा महिलाओं व बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की शीघ्र जांच और सुनवाई के लिए रूपरेखा तैयार की जा सके।
- विधेयक में रेप के दोषियों की सजा साबित होने पर 10 दिन के अंदर फांसी का प्रावधान है। इसके तहत बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
- जांच और अभियोजन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि रेप के मामलों की जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए, जो पूर्व की दो महीने की समय सीमा से कम है।
- बार-बार अपराध करने वालों के लिए सजा आजीवन होगी। जिसका अर्थ होगा कि दोषी व्यक्ति को शेष जीवनकाल तक कारावास में रहना होगा।
- कोर्ट कार्यवाही से संबंधित किसी भी सामग्री को बिना अनुमति के छापने या प्रकाशित करने पर तीन से पांच साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
- इसके साथ ही जिला स्तर पर ‘अपराजिता कार्यबल’ बनाने का भी सुझाव दिया गया है, जिसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे। यह कार्यबल नए प्रावधानों के तहत अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार होगा।