Maharashtra Election: महाराष्ट्र और झारखंड में वोटों की गिनती जारी है। हालांकि, अभी तक जो भी रूझान सामने आए हैं। उसके मुताबिक, महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनने जा रही है। जिसकी कमान देवेंद्र फडणवीस के हाथों में हो सकती है। क्योंकि राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं झारखंड की बात करें तो यहां हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन आगे है।
लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में महायुति को तगड़ा झटका लगा था। 48 लोकसभा सीटों में से महायुति को 17 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी को 30 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राज्य में भाजपा 28 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन 9 सीटों पर उसने जीत दर्ज की थी। जबकि कांग्रेस ने 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, उसे 13 सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की हवा ने बीजेपी की तरफ रुख किया है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा के लिए तो अहम हैं ही शिवसेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है। शिवसेना और एनसीपी दोनों विभाजित हो चुकी हैं। ऐसे में इस जीत से लगभग यह भी तय हो गया कि असली शिवसेना और एनसीपी कौन होगी। क्योंकि दोनों गुट इसको लेकर अपनी दावेदारी मजबूत करेंगे। महायुति की इस जीत से एक बात यह भी साफ उद्धव ठाकरे और शरद पवार की चुनौतियां बढ़ेंगी। क्योंकि उन्हें खुद को जनता के सामने बनाए रखने के लिए मंथन करना होगा।
एक महत्वपूर्ण प्वाइंट यह भी है कि महाराष्ट्र में भाजपा की इस बड़ी जीत से हिंदुत्व की राजनीति पर बाला साहेब ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमजोर होगी और राज्य में हिंदुत्व की राजनीति पर शिवसेना से वैसी प्रतिद्वंद्विता नहीं मिलेगी।
दूसरा मुख्य प्वाइंट यह है कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी मानी जाती है। ऐसे में महायुति की सरकार बनने और उसकी कमान देवेंद्र फडणवीस के हाथों में होने से बीजेपी को काफी फायदा होगा। वहीं कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र की हार किसी बड़े झटके से कम नहीं है,क्योंकि अभी हाल ही में उसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने 240 सीटों पर जीत हासिल की थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। हालांकि, एनडीए ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना था और मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने।
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एक्सपर्ट का मानना है कि लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा गया था, क्योंकि इससे एनडीए के घटक दलों का महत्व बढ़ गया था। जिससे एक बात साफ थी कि पीएम मोदी पहले अपने दो कार्यकाल की तरह फैसले लेने से परहेज करेंगे।
इससे पहले साल 2014 और 2019 में भाजपा ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी। इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था, लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छे प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र की जीत ने एक बार फिर से पीएम मोदी की लोकप्रियता पर लग रहे प्रश्न चिह्न को खत्म कर दिया है। ऐसे में कहा कि जा सकता है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता वैसी ही बनी है। जिसका जीता जागता उदाहरण हरियाणा के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी है।
यहां झारखंड का भी जिक्र करना जरूरी है। कहा जाता है कि महाराष्ट्र की तुलना में झारखंड का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर उतना वजूद नहीं है जितना की महाराष्ट्र का। क्योंकि झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन सरकार बनाने की ओर अग्रसर है, लेकिन महाराष्ट्र की तुलना में झारखंड का राष्ट्रीय राजनीति में दखल बहुत कम है। झारखंड बहुत छोटा राज्य है।
महाराष्ट्र में भाजपा की इस जीत से एनडीए के भीतर पार्टी का दबदबा और मजबूत होगा और सहयोगी पार्टियां का दखल अब कमजोर होता दिखाई देगा। क्योंकि अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और भाजपा यहां भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा। ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से अब बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी अब होंगे और मजबूत
हरियाणा में पिछले दस सालों से बीजेपी सरकार थी और लगातार तीसरी बार भी जीत मिली। 10 सालों की सत्ता विरोधी लहर और राज्य में चल रहे कई सरकार विरोधी आंदोलनों के बावजूद बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई। बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी।
महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा। ऐसे में महाराष्ट्र में बीजेपी की जीत को मोदी की जीत बताया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के अंदर अब मोदी का रुतबा और मजबूत होगा, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मोदी की लोकप्रियता पर सवाल खड़े होने लगे थे।
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वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाल का परिणाम कांग्रेस के लिए बहुत निराशाजनक है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद पार्टी को जो नई ऊर्जा मिली थी, वहां ठहराव की स्थिति आएगी। पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा और लोग राहुल गांधी और कांग्रेस के नेतृत्व पर भी सवाल उठाएंगे। लोग राहुल गांधी की लीडरशिप पर सवाल खड़े करेंगे।
हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सभी पार्टियों ने मिलकर लड़ा है तो किसी एक के सिर ठीकरा फोड़ना भी मुश्किल हो सकता है। ढाई महीने बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। फ़रवरी 2025 में होने जा रहे इस चुनाव में तीन मुख्य पार्टियां मैदान में हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हो सका था और दिल्ली में भी ये गठबंधन नहीं होने जा रहा है।
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महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे का असर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी मज़बूत है और बाक़ी राज्यों से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है।
हिंदुत्व की राजनीति की जीत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान ही ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारा खूब चर्चा में रहा। यूपी के सीएम योगी ने इस नारे को महाराष्ट्र विधानसभा में चुनाव प्रचार के दौरान ख़ूब इस्तेमाल किया। ऐसा माना गया कि यह नारा हिंदू समुदाय की अलग-अलग जातियों को एक करने के लिए था।
इस नारे को लेकर जब विवाद पैदा हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान ही ‘एक हैं तो सेफ़ हैं’ नारा लेकर आए। इस नारे को भी हिंदू समुदाय को एकजुट करने के लिहाज़ से देखा गया। भाजपा ने महाराष्ट्र चुनाव के दौरान पूरी कोशिश की कि ये चुनाव जाति के आधार पर न बंटे। वहीं झारखंड में चुनाव के दौरान बीजेपी ने कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा मजबूती से उठाया।