प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (8 नवंबर) को बड़ा फैसला लेते हुए 500 और 1000 रुपए के नोट पर रोक लगा दी। इस फैसले को अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि चुनाव के समय भारतीय जनता पार्टी चुनाव प्रचार के वक्त लोगों के सामने ‘निर्णयात्मक सरकार’ की छवि प्रस्तुत करना चाहती है। हालांकि, सरकार के इस फैसले के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। नोट बंद होने की वजह से चुनाव में खड़े कई केंडिडेट चुनाव में खर्च की जाने वाली राशि को लेकर परेशान हो सकते हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, सरकार इससे विपक्षी दल के लोगों का मुंह बंद करना चाहती है जो उसे काले धन को रोकने के लिए किए गए प्रयासों के लिए घेर रहे थे या फिर आगे घेर सकते थे। हालांकि, यह अचानक से लिया गया फैसला नहीं है। मोदी सरकार इसपर पिछले 6 महीने से काम कर रही थी। इसको लागू करने से पहले कुछ बाकी काम निपटाने की वजह से इसे छिपाकर रखा गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अलावा प्रिंसिपल सेक्रेटरी निरिपेंद्र मिश्रा, पिछले और मौजूदा आरबीआई गवर्नर, वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास को ही इस बात की जानकारी थी।

वीडियो: 500 और 1000 के नोट बंद, क्या होगा इसका असर?

गौरतलब है कि अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अब 500 और 2000 के नए नोट जारी करेगी। मंगलवार को पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा कि नए नोट जल्द से जल्द सरकुलेट कर दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि आज आधी रात से 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए जाएंगे।

नौ और 10 नवंबर के बीच एटीएम से पैसे निकालने की बंदिश होगी। 11 नवंबर तक अस्‍पतालों में पुराने नोट दिए जा सकेंगे। 9 और 10 नवंबर को एटीएम नोट काम नही करेंगे। 72 घंटे तक पुराने नोट से रेलवे, सरकारी बसों और एयरपोर्ट पर टिकट खरीद सकेंगे। वहीं बैंक ट्रांजेक्‍शन जारी रहेगा। ऑनलाइन पेमेंट, डेबिट, क्रेडिट और डिमांड ड्राफ्ट से भुगतान भी जारी रहेगा। नौ नवंबर को सारे बैंक बंद रहेंगे। आगे से ये सिर्फ कागज का टुकड़ा रह जाएंगे। पुराने नोट के बंद होने के बाद और जो नए नोट जारी किए जाएंगे।