हरियाणा विधानसभा चुनाव की सभाओं में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस बात पर जोर देते रहे हैं कि कांग्रेस ’36 बिरादरियों’ की पार्टी है, ये सभी कांग्रेस के समर्थन में है। ऐसे ही दावे भाजपा करती रही है, जैसे हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा था कि हमने वादा किया है कि अगर पार्टी चुनावों में फिर से सत्ता में आती है तो हम ’36 बिरादरियों’ की भलाई के लिए काम करेंगे। हर चुनाव की तरह हरियाणा के इस विधानसभा चुनाव में भी ’36 बिरादरियों’ का प्रतिनिधित्व करने की बात अक्सर नेता की ओर से सुनाई दे रही है। अब सवाल यह है कि 36 बिरादरियों का मतलब क्या है? 

क्या है 36 बिरादरी का मतलब?

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस के चहल कहते हैं कि बिरादरी शब्द फ़ारसी के शब्द बरादर से आया है। जिसका मतलब है एक कबीले या जनजाति का भाईचारा है जिसका एक ही वंश हो। 

प्रोफेसर चहल कहते हैं कि बिरादरी शब्द को कौम (राष्ट्र) या जात (जाति) से भी जोड़ा जाता है, हालांकि इन दोनों शब्दों के अलग-अलग अर्थ हैं, लेकिन उत्तर भारत में तीनों शब्दों को जाति के पर्यायवाची के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर एम राजीवलोचन कहते हैं कि बिरादरी एक बड़े परिवार की तरह होती है। वे कहते हैं, “हरियाणा महाभारत का क्षेत्र है। ऐसा माना जाता है कि बिरादरी जैसी संरचनाएँ महाभारत के समय से चली आ रही हैं।”

36 बिरादरी का सामाजिक महत्व क्या है?

चुनावी मौसम में जब भी कोई उम्मीदवार किसी गांव में जाता है तो उसका स्वागत ’36 बिरादरी’ की ओर से गांव के प्रमुख लोग करते हैं। इस श्रेणी में आने वाली जातियों और समुदायों में ब्राह्मण, बनिया (अग्रवाल), जाट, गुर्जर, राजपूत, पंजाबी (हिंदू), सुनार, सैनी, अहीर, , रोर और कुम्हार एससी की आधी से ज़्यादा हिस्सा शामिल है।

कांग्रेस के छह बार के पूर्व विधायक और पूर्व राज्य वित्त मंत्री संपत सिंह कहते हैं कि ’36 बिरादरी’ सिर्फ़ एक मुहावरा है और जातियां 36 से भी ज़्यादा हैं। 2016 में मैंने सभी जातियों के बीच भाईचारे को मज़बूत करने के लिए हिसार में अपने घर पर एक कार्यक्रम बुलाया था और इसमें लगभग 85 जातियों के सदस्यों ने भाग लिया था। ’36 बारादरी’ का भाईचारा हरियाणा में एक बहुत ही आम शब्द है जिसका इस्तेमाल समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

प्रोफ़ेसर चहल मुताबिक 36 बिरादरी की अवधारणा पंजाब (भारत और पाकिस्तान दोनों में) और हरियाणा और राजस्थान में ज़्यादा पाई जाति है। यहां लोगों में अपनी बिरादरियों के साथ जुड़ाव और अपनेपन की गहरी भावना होती है।