West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की ममता कैबिनेट ने राज्य में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों में 6,000 से अधिक नियुक्तियों को मंजूरी दी है। जिसके बाद विपक्ष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लोकसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक स्टंट का आरोप लगाया है।
ममता सरकार ने इन नियुक्तियों को ऐसे वक्त मंजूरी दी है, जब संघीय एजेंसियां पूरे पश्चिम बंगाल में स्कूल और नागरिक निकाय कर्मचारियों की नियुक्तियों में कथित भ्रष्टाचार की जांच कर रही हैं।
कार्यकारी सहायक इंजीनियरों से लेकर क्लर्क और चपरासी तक के 6,734 रिक्त पदों को भरने का निर्णय गुरुवार दोपहर को एक कैबिनेट बैठक में लिया गया, जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने एक वीडियो जारी करके आगामी आम चुनावों के लिए अपना सोशल मीडिया अभियान शुरू किया।
पीएम मोदी की ‘मन की बात’ के मुकाबले टीएमसी की ‘जन की बात’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए टीएमसी ने पीएम के लोकप्रिय रेडियो शो ‘मन की बात’ का मुकाबला करने के लिए अभियान का नाम ‘जन की बात’ (लोगों की आवाज) रखा। टीएमसी का यह वीडियो देश के बेरोजगार युवाओं पर केंद्रित हैं।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मौजूद बंगाल के जल संसाधन मंत्री मानस भुनिया ने कहा, “पंचायत व्यवस्था के तीनों स्तरों पर नियुक्तियां की जाएंगी। इनमें से कुछ नई पोस्ट हैं।”
नाम न छापने की शर्त पर राज्य सचिवालय के एक नौकरशाह ने कहा, “यह नकदी संकट के बावजूद रिक्तियों को भरने और नए पद बनाने के सरकार के प्रयासों का एक सिलसिला है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में कुछ हज़ार स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कांस्टेबलों और अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों की नियुक्ति के निर्णय चरणों में लिए गए।”
बीजेपी ने बताया ममता का राजनीतिक स्टंट
भारतीय जनता पार्टी की बंगाल इकाई के मुख्य प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ”ममता बनर्जी स्टंट करने के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन यह मतदाताओं को प्रभावित नहीं करेगा। अगर सरकार बेरोजगारी को लेकर गंभीर होती तो हजारों योग्य युवा नौकरी घोटाले का शिकार नहीं बनते, जिसमें टीएमसी नेता मुख्य संदिग्ध हैं।”