BJP के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा शनिवार को TMC का हिस्सा बन गए। कोलकाता स्थित TMC भवन में उन्हें पार्टी के सीनियर नेताओं ने सदस्यता दिलाई। वह अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और पिछले कुछ वक्त से मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते आए हैं।

तृणमूल का हिस्सा बनने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा- आपको शायद आश्चर्य हो रहा होगा कि जब मैंने दलगत राजनीति से खुद को अलग कर लिया था, तो फिर कैसे उसी में प्रवेश कर रहा हूं? दरअसल, देश बेहद अद्भुत परिस्थितियों से गुजर रहा है। जिन चीजों को हम अधिक महत्ता देते थे। मानते थे कि प्रजातंत्र में लोग उस पर अमल करेंगे, वे आज खतरे में हैं, क्योंकि उनका अनुपालन नहीं हुआ।

उन्होंने आगे कहा- लोकतंत्र की ताकत उससे जुड़े संस्थानों में निहित होती है। पर न्यायपालिका समेत ये सभी संस्थान अब कमजोर पड़ गए हैं। सत्तारूढ़ पार्टी का एक ही मकसद नजर आता है और वह चुनाव जीतना है। ममता और हमने मिलकर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में साथ में काम किया था। दीदी शुरुआत से ही फाइटर रही हैं।

सिन्हा ने सवाल उठाया- अटल जी के वक्त बीजेपी आम सहमति में यकीन रखती थी, पर आज की सरकार लोगों को कुचलने और जीत हासिल करने में विश्वास रखती है। अकाली, बीजेडी भी बीजेपी को छोड़ चुके हैं। आज कौन उनके साथ खड़ा है?

बकौल सिन्हा, “ममता पर नंदीग्राम में हुआ हमला प्रमुख घटनाक्रम था, जिसके बाद मैंने टीएमसी ज्वॉइन करने का फैसला लिया ममता को समर्थन देने का मन बनाया।” उन्होंने आरोप लगाया, मैं बहुत अफसोस के साथ कह रहा हूं कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रही है। तोड़-मरोड़ कर चुनाव(8 चरणों में मतदान) कराने का फैसला मोदी-शाह के नियंत्रण में लिया गया है और भाजपा को फायदा पहुंचाने के​ ​ख्याल से लिया गया है।

ममता की चोट पर क्या बोली BJP? देखें:

यशवंत सिन्हा ने टीएमसी का हिस्सा बनने के बाद कोलकाता स्थित पार्टी दफ्तर में शनिवार को ममता की पार्टी का झंडा भी थामा। साथ में अन्य नेता।

सूत्रों के हवाले से कुछ टीवी मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि सिन्हा को दिनेश त्रिवेदी की जगह संसद के उच्च सदन राज्यसभा भेजा जा सकता है। बता दें कि त्रिवेदी ने हाल ही में पार्टी से किनारा करते हुए बीजेपी ज्वॉइन कर ली थी। वहीं, राजनीतिक एक्सपर्ट्स की मानें तो सिन्हा के टीएमसी में जाने से टीएमसी को अधिक फर्क नहीं पड़ने वाला है। जमीन पर और वोटों में कोई बड़ा अंतर नहीं आ जाएगा। हालांकि, ममता की पार्टी को एक बड़ा चेहरा और वक्ता मिल जाएगा।

जानिए यशवंत सिन्हा को 1 नजर मेंः सिन्हा, लंबे वक्त तक सक्रिय राजनीति में रहे। पर कुछ वक्त पहले उन्होंने दलगत राजनीति से किनारा कर लिया था। नई बीजेपी या यूं कहें पार्टी में टीम मोदी-शाह से उनकी नहीं बनी। अक्सर वह मोदी सरकार के आर्थिक और विदेश मामलों से जुड़े फैसलों की निंदा करते नजर आए, जबकि सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा बीजेपी से सांसद हैं।