पश्चिम बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव होने हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा में ‘खेला होबे’ का शिकार हुई भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस बार नई रणनीति अपना रही है। भाजपा यहां पहले की तरह मेगा रैलियां नहीं कर रही है, बल्कि घर-घर जा कर चुनाव प्रचार कर रही है।
विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी रैलियां करने वाली बीजेपी ने इस बार रैलियों से अपना फोकस हटा लिया है। भवानीपुर में बीजेपी नेता अब घर-घर जा रहे हैं और मतदाताओं से बात कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव के बाद हुई हिंसा के चलते पार्टी ने इस बार रणनीति बदली है और कोई रैलियां नहीं की जाएंगी।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस बार हमारी रणनीति साइलेंट है। हमें टीएमसी के कार्यकर्ता डरा और धमका रहे हैं। इसलिए हमलोग रणनीति के तहत काम कर रहे हैं और घर-घर जा रहे हैं। चुनाव के बाद हुई हिंसा पर बात करते हुए घोष ने कहा, ” चुनाव के बाद हिन्दी बोलने वालों और गैर बंगालियों को निशाना बनाया गया, उन्हें धमकी दी गई, उनके घर और कार तोड़ दिए गए, वे डरे हुए हैं।”
भाजपा ने भवानीपुर सीट से प्रियंका टिबरवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। टिबरवाल पेशे से वकील हैं और वह बीजेपी युवा मोर्चा में उपाध्यक्ष भी हैं। वह साल 2014 में बीजेपी से जुड़ी थीं और सांसद बाबुल सुप्रियो की लीगल एडवाइजर भी रह चुकी हैं। उनका मुक़ाबला बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से होगा।
ममता बनर्जी पहले ही भवानीपुर सीट के लिए नामांकन दाखिल कर चुकी हैं। विधानसभा चुनाव में ममता नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें भाजपा के सुवेंदु अधिकारी ने हरा दिया था। बंगाल का सीएम बने रहने के लिए ममता को भवानीपुर से चुनाव जीतना जरूरी है।
भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब 20% के आसपास मुस्लिम वोटर्स हैं। जबकि सिख समुदाय और पंजाबी वोटर्स की बात करें तो यह संख्या लगभग 5000 के पास जाती है। यहां आए सिख समुदाय के लोगों का कहना था कि वह जब वोट देने जाएंगे तो किसानों का मुद्दा सबसे अहम रहेगा। बता दें इस चुनाव के वोटों की गिनती 3 अक्टूबर को होगी।
