पश्चिम बंगाल में करीमनगर, कालियागंज और खड़गपुर सदर विधानसभा सीटों के लिए हुए उप-चुनावों में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने तीनों सीटों पर कब्जा कर लिया है। पश्चिम बंगाल में हुए उपचुनावों के ये नतीजे भाजपा के लिए बड़ा झटका माने जा रहे हैं। गौरतलब है कि 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में टीएमसी को इन तीन विधानसभाओं में से सिर्फ एक में जीत मिली थी, वहीं एक सीट भाजपा और एक सीट कांग्रेस के कब्जे में गई थी, लेकिन अब उपचुनावों में टीएमसी की तीनों सीटों पर मिली जीत ने भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।
2019 के आम चुनावों में इन तीनों ही सीटों पर भाजपा का वोट प्रतिशत 50 प्रतिशत से ज्यादा रहा था। वहीं टीएमसी का वोट प्रतिशत 2016 के विधानसभा चुनावों और 2019 के आम चुनावों में एक जैसा ही रहा था, लेकिन 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के वोट प्रतिशत पर कब्जा कर लिया था। लेकिन हालिया उपचुनावों के नतीजे देखकर लग रहा है कि टीएमसी ने भाजपा के वोट शेयर में सेंध लगा दी है, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।
चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट पर नजर डालने पर पता चला है कि, हालिया उपचुनावों में खड़गपुर सदर विधानसभा सीट पर भाजपा का वोट प्रतिशत आम चुनावों के मुकाबले 23% तक घट गया है। वहीं करीमपुर सीट पर भाजपा के वोट प्रतिशत में हल्की सी बढ़ोत्तरी देखी गई है। कालियागंज सीट पर भी भाजपा को करीब 9 प्रतिशत वोटों का नुकसान उठाना पड़ा है।
NRC को लेकर बीजेपी का स्टैंड हो सकता है अहम वजहः राजनीति के जानकारों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में उप-चुनावों में भाजपा को मिली हार के पीछे एनआरसी अहम मुद्दा हो सकता है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, करीमपुर और कालियागंज सीट नादिया और उत्तरी दिनाजपुर जिले में आती हैं। ये दोनों ही जिले बांग्लादेश के बॉर्डर से मिलते हैं। जिसके चलते इन जिलों में एनआरसी एक बड़ा मुद्दा है। जिस तरह से भाजपा ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात कही है, माना जा रहा है कि उससे ममता बनर्जी के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है। दरअसल ममता बनर्जी ऐलान कर चुकी हैं कि वह राज्य में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी।
कालियागंज से भाजपा उम्मीदवार रहे कमल चंद्र सरकार भी स्वीकार करते हैं कि उपचुनावों में एनआरसी एक अहम फैक्टर रहा। इस साल हुए आम चुनावों में भाजपा ने जिस तरह से पश्चिम बंगाल में जोरदार प्रदर्शन करते हुए 18 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था, उसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा विधानसभा चुनावों में भी ममता बनर्जी की टीएमसी को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन अब उप-चुनावों में जिस तरह से टीएमसी ने भाजपा को झटका दिया है, उसने भाजपा नेतृत्व की पेशानी पर बल जरुर ला दिया है।