बंगाल के चुनाव में देखा जाए तो बीजेपी के तमाम दिग्गज अपना जोर आजमा रहे हैं, जिससे 10 साल की ममता सरकार को उखाड़कर बीजेपी की सरकार बनाई जा सके। इनमें गृह मंत्री अमित शाह के साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजय वर्गीय के नामों से तकरीबन हर व्यक्ति परिचित है, लेकिन एक नाम ऐसा भी है जो अनजाना तो है लेकिन बंगाल के धरातल पर यह पार्टी को संजीवनी देने का काम कर रहा है। यह हैं RSS के प्रचारक शिव प्रकाश। उनका नाम बेशक आम जन के लिए अनजाना हो पर पार्टी के लिए बेहद अहम है।
शिव प्रकाश और उनके दूसरे साथी अरविंद मेनन को 2014 में बीजेपी से सक्रिय तौर पर जोड़ा गया। उस दौरान हुए लोकसभा चुनाव में दोनों ने परदे के पीछे रहते हुए पार्टी की जड़ों को मजबूत करने का काम बखूबी किया। दिसंबर में जेपी नड्डा ने शिवप्रकाश से कहा कि वह दिल्ली से बाहर निकलकर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना के साथ बंगाल पर फोकस करें। शिवप्रकाश का कहना है कि बीजेपी के लिए बंगाल सबसे बड़ी चुनौती की तरह से उभरा है। वह फिलहाल यहीं पर अपना फोकस कर रहे हैं। उनका 60% से ज्यादा समय यहीं पर बीता है।
बंगाल में काम के दौरान उन्होंने धाराप्रवाह बंगाली बोलनी सीखी तो सूबे के गणित को भी समझा। उनका कहना है कि बीते चार माह के दौरान वह दिल्ली आए तो हैं पर केवल पार्टी की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए। 2015 में वह पहली दफा बंगाल आए थे। उसके बाद के दौर में उन्होंने 17, 500 शार्ट टाइम वर्कर जुटाने का काम किया तो 78 हजार बूथों के लिए कमेटियां बनाई।
यूपी में मुरादाबाद के निवासी शिवप्रकाश ठाकुर परिवार से आते हैं। 1986 में वह संघ के प्रचारक बने। 2000 में उन्हें उत्तराखंड का प्रांत प्रचारक बनाया गया और फिर प. यूपी का क्षेत्र प्रचारक। 2014 के लोकसभा चुनाव में बेहतरीन काम का उन्हें इनाम मिला और वह बीजेपी में ज्वाइंट सक्रेट्री के पद पर पहुंच गए। उनका पहला असाइमेंट ओडिसा रहा। फिर वह बंगाल में जम गए।
शिवप्रकाश का कहना है कि लो प्रोफाइल रहना उनके बहुत काम आया। इससे वह बगैर किसी बाधा के कहीं पर भी आ-जा सकते हैं। उन्हें सिक्योरिटी की जरूरत भी नहीं पड़ती। बंगाल में काम करना चुनौती से भरा था, क्योंकि बीजेपी से जुड़ने में लोग कतराते थे। लेकिन मेहनत रंग लाई और आज सूबे में बीजेपी की अपनी एक टीम खड़ी हो चुकी है। अपने दिल्ली प्रवास के दौरान वह बिहार के सांसद गोपाल नारायण सिंह के घर में रहते हैं।
उनके दूसरे साथी अरविंद मेनन वाराणसी से आते हैं। वह मलयाली नैय्यर परिवार से हैं। उनके रादनीतिक करियर की शुरुआत एबीवीपी से हुई थी। उन्हें एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान का करीबी माना जाता है। गुजरात के 2017 के चुनाव में मेनन की भूमिका अनुकरणीय रही थी। कभी बीजेपी युवा मोर्चा में भी रह चुके मेनन 2018 में नेशनल सेक्रेट्री बने और उसके बाद के दौर में वह बीजेपी के उम्रदराज नेताओं के साथ युवा शक्ति का तालमेल बिठाने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।