बंगाल के चुनाव में जातिगत गणित को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और राजनीतिक जानकार अपने-अपने हिसाब से गणना करने में लगे हैं। दो महीने पहले तक जहां मुस्लिम मतदाताओं को लेकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को भराेसा ज्यादा था, वहीं अब फुरफुरा शरीफ के सज्जादानसीं अब्दुल्ला सिद्दीकी के इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) नाम से अपनी पार्टी खड़ी कर देने से मतों के बंटवारे को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। दलों के गठबंधन से भी राजनीतिक समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने एक ट्वीट करके ग्राफिक्स के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम और दलितों के वोट बंटवारे के बारे में बताया है।
उन्होंने 2014 और 2019 के चुनावों का हवाला देकर ग्राफिक्स के माध्यम से बीजेपी और टीएमसी में वोटों के बंटवारे का गणित समझाया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 23.5 फीसदी दलित आबादी है। यह देश में यूपी के बाद सबसे अधिक है। उनके मुताबिक ऊंची जातियों और ओबीसी वोट बैंक में BJP ने भारी सेंध लगाई है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिमों का वोट ट्रांसफर ज्यादा है।
This one graphic best captures the battle for Bengal. The clear emerging Hindu Muslim divide in voting pattens and why Dalits could hold the key (WB has an approx 23.5 % Dalit population, second highest after UP). pic.twitter.com/V41oL549qI
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) March 9, 2021
ग्राफिक्स में बताया गया है कि 2014 में उच्च वर्ग के मतदाता बीजेपी के साथ 24 फीसदी थे, जो 2019 में 57 फीसदी हो गए। वहीं ओबीसी 21 से 65 फीसदी हो गए। एससी 20 से 61 फीसदी हो गए। एसटी 11 से 58 फीसदी हो गए है। जबकि मुस्लिम सिर्फ दो से 4 फीसदी ही बीजेपी के साथ गए।
इसके विपरित टीएमसी के साथ उच्च वर्ग के लोग 2014 में 38 से 2019 में 31 फीसदी हो गए। यानी सात फीसदी कम हो गए। इसी तरह ओबीसी 43 से घटकर 28 हो गए। एससी 40 से घटकर 27 हो गए। एसटी 40 से गिरकर 28 फीसदी हो गए। लेकिन मुस्लिम वोटर टीएमसी में 2014 के 40 से 2019 में 70 फीसदी हो गए। यानी मुस्लिम वोटरों में खासा इजाफा हुआ है।
हालांकि राजदीप सरदेसाई के इस ग्राफिक्स और ट्वीट को लेकर कई लोगों ने उन्हें ट्रोल किया। पीयूष आर्या @AryaPiyushindia नाम के एक यूजर का कहना है, “वास्तविकता यह है कि यह केवल अशरफ मुसलमान हैं जो पूरी तरह से टीएमसी के साथ हैं और मुसलमानों के बीच भाजपा का बढ़ता वोट सभी पसमांदा मुस्लिम हैं। कुंजी पसमांदा मुसलमानों के हाथ में है। अगर वे कुछ फीसदी भी भाजपा के समर्थन में खुलकर सामने आते हैं … तो यह 2 मई दीदी की जय होगी।”