अमिताव चक्रबर्ती
पश्चिम बंगाल में पहले चरण के मतदान में अब दस दिन भी नहीं रह गए हैं। प्रत्याशियों का प्रचार अभियान और जनसंपर्क में तेजी आ गई है। इस बीच राज्य की बांकुरा क्षेत्र की साल्टोरा सीट से भाजपा ने एक ऐसी महिला को टिकट दिया है, जो अब तक की सबसे गरीब प्रत्याशी है। 30 साल की चांदना बाऊरी लोगों से घर-घर संपर्क कर वोट देने की अपील कर रही हैं। चांदना के पास संपत्ति के नाम पर तीन बकरियां, तीन गाय (उनमें से एक उनके माता-पिता ने दी थी), एक मिट्टी का कच्चा घर है। घर में पानी का नल नहीं लगा है और न ही शौचालय है।
उनके पास नकद और बैंक एकाउंट मिलाकर कुल 31 हजार 985 रुपए हैं। उनके पति श्रबन राजमिस्त्री हैं। वह एक दिन के काम का 400 रुपए मजदूरी पाते हैं। चांदना अपने पति के साथ मजदूरी करती हैं। दोनों लोग मनरेगा कार्डधारक हैं। उनके तीन बच्चे हैं। चांदना बताती हैं कि उन्हें और उनके घरवालों को शौच के लिए बाहर जाना होता है। वे भी एक सपना देखती थी कि कभी उनके घर में भी एक शौचालय होगा। बताईं कि पिछले साल प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 60 हजार रुपए मिले थे। उससे उन्होंने दो कमरे बनवाए।
तीस वर्षीय चांदना अपनी मेहनत और कर्मठता से पार्टी की जिला इकाई में सदस्य बनीं और विधानसभा चुनाव में टिकट पा सकीं। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। वह रोज सुबह 8 बजे गंगा जल घाटी ब्लॉक के केलई गांव से एक मेटाडोर में भगवा रंग की साड़ी पहनकर अपने प्रचार के लिए निकलती हैं। वह अक्सर साथ में अपने बेटे को भी ले जाती हैं। चांदना बताती हैं, “तृणमूल भ्रष्ट है।” उन्होंने कहा, ” इसने कोई विकास कार्य नहीं किया है, जो भी पैसा मोदीजी ने कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्य में भेजा है, उसे टीएमसी ने जब्त कर लिया है। सरकारी योजना में शौचालय से लेकर घर बनवाने तक के लिए तृणमूल पार्टी के लोग पैसे लेते हैं।”
साल्टोरा विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पिछले दो बार से यहां से तृणमूल कांग्रेस के स्वपन बरूई दस हजार से ज्यादा वोटों से जीतते आ रहे हैं। इस बार पार्टी ने प्रत्याशी बदल दिया है और संतोष कुमार मंडल को मैदान में उतारा है।
चांदना कहती हैं, “मुझे स्थानीय लोगों से 8 मार्च को पता चला कि मुझे टिकट दिया गया है। उन लोगों ने टेलीविजन पर समाचार देखा था। मैं गरीब घर से आती हूं। मुझे टिकट देकर भाजपा ने यह दिखा दिया है कि नेता बनने के लिए आर्थिक स्तर कोई मायने नहीं रखता है।”
स्रबन हालांकि पहले भी राजनीति में हाथ आजमाया है। 2011 में सत्ता में आने पर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने उसे फॉरवर्ड ब्लॉक समर्थक होने पर बहुत परेशान किया था। इसके बाद उसके परिवार भाजपा में शामिल हो गया। चांदना अपनी मेहनत से 2016 में उत्तर गंगाजल घाटी मंडल की महिला मोर्चा की महासचिव के पद तक पहुंची, और बाद में बांकुरा जिले की पार्टी महामंत्री बनी। स्रबन ने आठवीं तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन चांदना ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है।