कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते देश में बेरोजगारी की क्या स्थिति है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में बीते 75 दिनों में ही करीब 5.9 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत रजिस्टर कराया है। इन लोगों ने 100 दिन की कार्य योजना में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों का भी कहना है कि इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराना सामान्य बात नहीं है। आमतौर पर पहले एक साल में मनरेगा में करीब एक लाख लोग हरजिस्ट्रेशन कराते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि ऐसा लगता है कि लॉकडाउन के चलते गृहराज्य वापस लौटे लोगों ने बड़ी संख्या में मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराया है। पश्चिम बंगाल में करीब 10 लाख प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रवासी मजदूरों ने काम का कोई अन्य विकल्प ना होने के चलते मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराया है।
टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सीएम ममता बनर्जी सरकार ने भी ज्यादा से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत काम देने के निर्देश दिए हैं। हालांकि इतने बड़े स्तर पर लोगों को मनरेगा के तहत काम देना भी आसान नहीं है। जिसका असर देखने को भी मिल रहा है। दरअसल कई लोगों को रजिस्ट्रेशन के बावजूद काम नहीं मिला है।
सोमवार को हुगली के गोघाट इलाके में कुछ लोगों की भीड़ ने ग्राम पंचायत ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया। लोगों का आरोप था कि उन्हें मनरेगा में रजिस्ट्रेशन के बावजूद काम नहीं मिल पा रहा है। विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों में कई प्रवासी कामगार भी थे, जो लॉकडाउन में नौकरी जाने के चलते वापस लौटे हैं।
बता दें कि लॉकडाउन में अपने घर लौटे प्रवासी कामगारों को उनके घर के पास ही रोजगार देने के लिए केन्द्र की मोदी सरकार ने बीते शनिवार को ही 50 हजार करोड़ रुपए की ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ योजना लॉन्च की है। इस योजना का फोकस मुख्यतः 6 राज्यों पर रहेगा, जहां सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। इस योजना में जिन राज्यों को शामिल किया गया है उनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा का नाम है।