Sharad Pawar On JPC: हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा जांच का विरोध करने से एनसीपी प्रमुख शरद पवार यू-टर्न ले लिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार (11 मार्च, 2023) को कहा कि वो विपक्षी एकता के लिए जेपीसी (JPC) का विरोध नहीं करेंगे।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने मराठी न्यूज चैनल एबीपी माझा से बात करते हुए कहा, ‘विपक्षी दलों के हमारे मित्र अगर जेपीसी जांच पर जोर देते हैं, तो हम विपक्षी एकता के लिए इसका विरोध नहीं करेंगे। हम उनके विचार से सहमत नहीं होंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे रुख से विपक्षी एकता को नुकसान न पहुंचे, हम इस पर जोर नहीं देंगे (जेपीसी जांच)।’
राकांपा प्रमुख ने शुक्रवार को यह कहने के बाद विपक्षी दलों में खलबली मचा दी कि वह इस मुद्दे पर जेपीसी जांच के खिलाफ हैं और अडानी को निशाना बनाया जा रहा है। रविवार को पवार ने यह कहते हुए अपना रुख नरम कर लिया कि समिति में भाजपा का बहुमत अधिक होगा, जबकि विपक्ष अल्पमत में होगा।
जेपीसी की ताकत संसद में राजनीतिक दलों की पर निर्भर करेगी: शरद पवार
पवार ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि जेपीसी की ताकत संसद में राजनीतिक दलों की ताकत पर आधारित होगी। भाजपा के 200 से अधिक सांसद हैं और 21 सदस्यीय जेपीसी में उसके अधिकतम सदस्य होंगे। विपक्ष में 5-6 सदस्य होंगे। क्या इतनी छोटी संख्या प्रभावी भूमिका निभा पाएगी? लेकिन फिर भी, यदि विपक्षी दल जेपीसी जांच पर जोर देते हैं, तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने अडानी विवाद को लेकर रविवार को कहा था कि एकजुट विपक्ष को लगता है कि अडानी समूह की कंपनियों की जांच आवश्यक है और उनकी पार्टी जांच की मांग का समर्थन करती है। संजय राउत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि वह अडानी विवाद की जांच को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच पैदा हुए मतभेद में नहीं पड़ना चाहते हैं, लेकिन संयुक्त विपक्ष की मांग है कि अडानी विवाद की जांच संयुक्त संसदीय समिति से होनी चाहिए और इसमें किसी प्रकार कोई मतभेद नहीं है।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि वह इस मामले पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष द्वारा संसद को ठप करने से सहमत नहीं हैं। 24 जनवरी को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था।