Supreme Court: सीजेआई संजीव खन्ना पर गृहयुद्ध संबंधी टिप्पणी के लिए निशिकांत दुबे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट अवमानना याचिका पर विचार नहीं करेगा। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि वह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ शीर्ष अदालत और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर विचार नहीं करेगा।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा कि फिर वो इस मामले में तर्कसंगत आदेश पारित करेगी।
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा कि संस्था की गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। यह ऐसे नहीं चल सकता। इससे पहले, अदालत ने दिल्ली न्यायिक सेवा मामले में संज्ञान लिया था।
सीजेआई संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम एक संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे। हम कुछ कारण बताएंगे। हम इस पर विचार नहीं करेंगे, लेकिन संक्षिप्त आदेश देंगे।
बता दें, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ANIको दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि सीजेआई खन्ना देश में सभी गृहयुद्धों के लिए जिम्मेदार हैं। सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ द्वारा हाल ही में लागू किए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाने के प्रस्ताव के बाद यह टिप्पणी की गई थी।
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तिवारी की याचिका में कहा गया है कि दुबे का इंटरव्यू न्यायपालिका और सर्वोच्च न्यायालय के प्रति अपमानजनक बातों से भरा हुआ था। इसमें कहा गया कि इस तरह के कृत्य भारतीय न्याय संहिता और न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत दंडनीय अपराध हैं।
यह तर्क दिया गया कि जब घृणास्पद भाषण और भड़काऊ टिप्पणियों की बात आती है तो राजनीतिक दल और नेता न्यायपालिका और न्यायाधीशों को भी नहीं बख्शते। इसलिए, उन्होंने दुबे के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की। इसी मुद्दे पर दुबे के खिलाफ अदालत की अवमानना की एक अन्य याचिका भी शीर्ष अदालत में लंबित है।
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