Wayanad Landslide, cloudbursts hit Himachal Pradesh-Uttarakhand: हिमाचल-उत्तराखंड से लेकर केरल के वायनाड में भी कुदरत ने कहर बरपाया है। इस प्राकृतिक आपदा में न जाने कितनी जिंदगी खत्म हो गईं तो कई लोग जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। हालांकि, इन सभी जगह आई प्राकृतिक आपदा में केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से लगातार राहत-बचाव अभियान चलाया जा रहा है। वायनाड में तो गांव-गांव के पूरी तरह से तबाह हो गए हैं। मंजर ऐसा है कि वहां की तस्वीर देखकर हर किसी की दिल दहल जाए। ऐसा ही भयानक मंजर हिमाचल और उत्तराखंड में भी है। आइए ऐसे एक नजर डालते हैं वायनाड, हिमाचल और उत्तराखंड के घटनाक्रम पर।

  1. वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित चूरलमाला में बचाव कार्य चौथे दिन भी जारी है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि मरने वालों की संख्या 300 से अधिक हो गई है। भारी बारिश और चुनौतीपूर्ण इलाके के बावजूद 40 बचाव दल तलाशी अभियान चला रहे हैं।
  2. यह 40 टीमें भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के छह क्षेत्रों में तलाशी अभियान चला रही हैं। जिनमें- अट्टामाला और आरणमाला, मुंडक्कई, पुंचिरिमट्टम , वेल्लरीमाला गांव, जीवीएचएसएस वेल्लरीमाला और नदी तट शामिल है। संयुक्त टीमों में सेना, एनडीआरएफ, डीएसजी, तटरक्षक, नौसेना और एमईजी के कर्मियों के साथ-साथ तीन स्थानीय लोग और एक वन विभाग का कर्मचारी शामिल है। इसके अलावा तलाशी अभियान चलियार नदी पर भी चलाया जा रहा है। नदी के 40 किलोमीटर के हिस्से के साथ आठ पुलिस स्टेशन स्थानीय तैराकी विशेषज्ञों के साथ मिलकर उन शवों की खोज कर रहे हैं, जो नदी नीचे की तरफ बह गए थे। या नदी के किनारे फंस गए थे। इसके साथ ही, पुलिस हेलीकॉप्टर का उपयोग करके एक और तलाशी अभियान चला रही है।
  3. मौसम विभाग ने गुरुवार को वायनाड में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया था। डिजास्टर मैनेजमेंट टीम ने कुछ जगहों पर लैंडस्लाइड का खतरा जताया था। वहीं, आर्मी के जनरल कमांडर ऑफिसर मेजर जनरल वीटी मैथ्यू ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है। अब हम केवल शवों को खोजने का काम कर रहे हैं। अगर हमें घरों में कोई फंसा मिलेगा तो उसे निकालेंगे। बारिश के चलते काम में दिक्कत आ रही है। आर्मी के 5 टीमों और 3 डॉग्ज को यहां डिप्लॉय किया गया है।
  4. वायनाड में लैंडस्लाइड सोमवार देर रात करीब 2 बजे और मंगलवार सुबह 4 बजे के बीच मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में हुई थीं। इनमें घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां बह गईं थीं। बुधवार देर रात तक 1592 लोगों का रेस्क्यू किया गया, 3 हजार लोगों को राहत शिविर में भेजा गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में बताया- 23-24 जुलाई को ही केरल सरकार को अलर्ट किया गया था, सरकार समय रहते लोगों को हटाती तो इतना नुकसान नहीं होता। इस पर केरल CM विजयन ने कहा- जब ऐसा कुछ होता है, तो आप दूसरों पर दोष मढ़कर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। IMD ने त्रासदी से पहले एक बार भी रेड अलर्ट जारी नहीं किया।
  5. वायनाड, केरल के नॉर्थ-ईस्ट में है। यह केरल का एकमात्र पठारी इलाका है। यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है। वायनाड की 51% जमीन पहाड़ी ढलाने हैं। यानी लैंडस्लाइड की संभावना बहुत ज्यादा बनी रहती है। वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई पर है। मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकराकर ऊपर उठती है, इसलिए इस इलाके में मानसून सीजन में बहुत ज्यादा बारिश होती है। वायनाड में काबिनी नदी है। इसकी सहायक नदी मनंतावडी ‘थोंडारमुडी’ चोटी से निकलती है। लैंडस्लाइड के कारण इसी नदी में बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ है।
  6. वायनाड कलेक्टर डीआर मेगाश्री ने भारी बारिश और लैंडस्लाइड की आशंका के बीच कुरुम्बालाकोट्टा, लाकिती मणिकुन्नु माला, मुत्तिल कोलपारा कॉलोनी, कपिकालम, सुधांगिरी और पोशुथाना इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने घरों को छोड़ने को कहा है। इससे पहले बुधवार को लोगों से लैंडस्लाइड वाले इलाकों से दूरी बनाने की वॉर्निंग दी गई।
  7. हिमाचल के कुल्लू, मंडी और शिमला में बादल फटने से तबाही का मंजर है। मंडी और कुल्लू की घटना में करीब पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं 50 से ज्यादा लोग लापता हुए हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। कई घर और स्कूल, अस्पताल भी इस घटना में क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कुल्लू जिले में मलाना परियोजना का एक बांध टूट गया है। कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) तोरुल एस रवीश ने एक बयान में कहा कि फिलहाल हालात कंट्रोल में हैं और अभियान जारी है।
  8. उत्तराखंड में पिछले दो दिनों में आफत की बारिश ने पहाड़ी क्षेत्रों में भारी नुकसान किया है। बारिश के कहर ने 14 लोगों की जान ले ली है, कई मवेशी और घर भी भूस्खलन की वजह से दब गए हैं। आपदा हालात का जायजा लेने सीएम धामी ने रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी आदि जिलों का हवाई सर्वेक्षण भी किया और देहरादून में आपदा नियंत्रण कक्ष एस और सभी जिलों के अधिकारियों से ताजा घटनाक्रम की जानकारी भी लगातार ले रहे हैं।
  9. पीएमओ भी उत्तराखंड की आपदा पर बराबर नजर रखे हुए हैं और पीएम मोदी ने यहां वायुसेना को मदद के लिए भेजा है, जिसमें चिनूक हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं। शासकीय जानकारी के अनुसार, रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी नदी के उफान ने पैदल केदारमार्ग को नुकसान पहुंचाया है, जिससे करीब दो हजार तीर्थ यात्री फंस गए, एसडीआरएफ ने वैकल्पिक मार्ग बना कर यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है। रामबाड़ा, सोन प्रयाग में भी भारी बारिश से बहुत नुकसान हुआ है। यहां से हेलीकॉप्टर की मदद से तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
  10. बादल फटने की घटनाएं अक्सर तेज गरज के साथ बारिश के दौरान होती हैं। जब नमी वाले बादल बड़ी मात्रा में एक जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं और पानी की बूंदें एक साथ मिल जाती हैं। बूंदों का भार ज्यादा होने की वजह से बादल की डेंसिटी बढ़ती है और तेज बारिश अचानक होने लगती है। ऐसा तब होता है जब गर्म हवा की धाराएं बारिश की बूंदों संग मिलकर सामान्य बहाव को बाधित करती हैं, जिससे पानी जमा हो जाता है और बादल फट जाता है। कुछ ही सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है। आमतौर पर पहाड़ों पर 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं।