यूक्रेन ने रूस पर युद्ध अपराध करने का आरोप लगाया है, जिसके बाद यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पहुंच गया है। हालांकि, रूस ने आम नागरिकों को निशाना बनाने के आरोपों से इनकार किया है। रूस पर युद्ध अपराध के मामले में जांच शुरू हो गई है। जिनेवा कंवेंशन के तहत रूस के खिलाफ जांच शुरू हुई है।
जिनेवा कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। यह किसी भी युद्ध में मानवीय व्यवहार के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानकों को निर्धारित करती है। पहले तीन कन्वेंशन युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों और युद्ध बंदियों की सुरक्षा के लिए प्रावधान निर्धारित करते हैं, जबकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सामने आए चौथे कन्वेंशन के तहत युद्ध क्षेत्र में आम नागरिकों की सुरक्षा की जाती है। 1949 में जिनेवा कन्वेंशन को रूस सहित संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने अनुमोदित किया था।
जिनेवा कन्वेशन के पहले तीन कन्वेंशन युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों और युद्ध बंदियों की सुरक्षा के लिए प्रावधान निर्धारित करते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद चौथा कन्वेंशन अस्तित्व में आया। इसके तहत युद्ध क्षेत्र के आम नागरिकों की सुरक्षा की जाती है। वर्ष 1949 के जिनेवा कन्वेंशन को रूस सहित संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों ने अनुमोदित किया था।
चौथे कन्वेंशन में युद्ध अपराधों की परिभाषा निर्धारित की गई है। इसके तहत जंग के दौरान जानबूझ कर हत्या शामिल है। इसमें अत्याचार या अमानवीय व्यवहार को शामिल किया गया है। इसके तहत जानबूझ कर गंभीर शारीरिक चोट या स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना शामिल है। यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के मुख्य अभियोजक ने कहा है कि कथित युद्ध अपराधों, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के सबूत एकत्रित किए जा रहे हैं। अदालत ने यह कदम 39 देशों द्वारा जांच की मांग उठाए जाने के बाद उठाया है।
रोम अधिनियम : वर्ष 1998 का रोम अधिनियम भी सशस्त्र संघर्ष के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधि है। इस संधि के मुताबिक युद्ध अपराध है। अंतरराष्ट्रीय कानून और उसके उल्लंघन को समझने के लिए उपयोगी गाइड माना जाता है। इसके तहत जानबूझ कर आम लोगों पर सीधे हमले करना या युद्ध में जो लोग शामिल नहीं हैं, उन पर जानबूझ कर हमले करना, अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
इस संधि के तहत बिना रक्षा कवच वाले गांवों, आवासों या इमारतों पर किसी भी तरह से हमला या बमबारी अपराध की श्रेणी में आता है। इसके मुताबिक अस्पताल, धार्मिक आस्था या शिक्षा से जुड़ी इमारतों को जानबूझ कर निशाना नहीं बनाया जा सकता है। यह संधि कुछ हथियारों के साथ-साथ जहरीली गैसों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाती है।
कैसे होती है सुनवाई : अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत की स्थापना 1998 में नीदरलैंड्स के हेग में हुई थी। यह स्वतंत्र संस्था है। आइसीसी केवल उस क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर सकता है जहां कोई देश किसी अपराध को लेकर मुकदमा चलाने को तैयार नहीं है या नहीं कर सकता। लेकिन इस अदालत के पास अपना पुलिस बल नहीं है और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए वह संबंधित देश के सहयोग पर निर्भर है। आइसीसी के 123 सदस्य देश हैं। रूस और यूक्रेन इसके सदस्य नहीं हैं।
हालांकि, यूक्रेन ने अदालत के न्याय क्षेत्र को स्वीकार किया है, जिससे आइसीसी यूक्रेन में कुछ निश्चित कथित अपराधों की जांच कर सकती है। अमेरिका, चीन और भारत भी आइसीसी के सदस्यों में शामिल नहीं हैं।
रूस पर क्या हैं आरोप
यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूस पर युद्ध अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया है। रूस पर खारकीव में प्रतिबंधित क्लस्टर बमों के इस्तेमाल करने का आरोप भी है। वर्ष 2008 में इस बम के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है। हालांकि, समझौते में शामिल नहीं होने के चलते ना तो रूस और ना ही यूक्रेन में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी है।
यूक्रेन के उत्तर-पूर्वी शहर ओख्तरका पर हमले में वैक्यूम बम का इस्तेमाल करने का आरोप भी रूस पर लगा है। यह एक थर्मोबेरिक हथियार है, जो वाष्पीकृत ईंधन के बादल को प्रज्वलित करके भारी विनाश का कारण बन सकता है। इन बमों उपयोग पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगाने वाला कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है, लेकिन यदि कोई देश उपयोग करता है तो उसे 1899 और 1907 के हेग सम्मेलनों के तहत युद्ध अपराध का दोषी ठहराया जा सकता है।