चुनावों में हार के बाद विपक्ष की ओर से कई बार EVM का मुद्दा उठाया गया। लोकसभा चुनाव के बाद वोटों की गिनती के दौरान ईवीएम के साथ सारी वीवीपैट पर्चियां भी गिनने के लिए याचिका दायर की गई है। अब चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल के वकीलों की दलीलों को सुना। इसके बाद याचिका पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। अरुण कुमार अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार ने तकरीबन 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वर्तमान में लगभग 20,000 वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं। कोर्ट में अगली सुनवाई 17 मई को हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के कदम से विपक्ष गदगद है। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा, “VVPAT के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने INDIA गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया है। हमारी मांग थी कि ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए VVPAT पर्चियों के 100% मिलान किए जाए। इस संबंध में यह नोटिस पहला और काफ़ी महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इसकी सार्थकता के लिए, चुनाव शुरू होने से पहले ही मामले पर निर्णय लिया जाना चाहिए।”
VVPAT का पूरा नाम ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ है, जो एक वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है। ये वोटर्स को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है। वीवीपैट के माध्यम से ही कागज की पर्ची निकलती है।
बीजेपी ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अबकी बार 400 पार का नारा दिया है। इसको लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि बीजेपी वाले 400 पार कह रहे हैं। क्या EVM में पहले से ही सेटिंग है। पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि जब भी बीजेपी की जीत हुई है, तो वहां विपक्ष ने ईवीएम टेंपरिंग का आरोप लगाया है।