विवादों में घिरे उद्योगपति विजय माल्या ने कहा है कि वह कोई भगोड़ा नहीं हैं। वह देश के कानून का पालन करेंगे। जाने-माने शराब कारोबारी अपने समूह द्वारा कथित तौर पर नौ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज चुकाने में विफल रहने के मद्देनजर कानूनी कार्रवाइयों का सामना कर रहे हैं। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने माल्या को आइडीबीआइ बैंक से मिले 900 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुकाने से जुड़े धनशोधन के आरोपों की जांच के सिलसिले में उनकी एअरलाइंस के एक वरिष्ठ कार्यकारी से पूछताछ की।
शुक्रवार सुबह एक अज्ञात स्थान से माल्या ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं अंतरराष्ट्रीय उद्योगपति हूं। मैं भारत और वहां से बाहर अक्सर जाता रहता हूं। मैं भारत से भागा नहीं हूं और न ही मैं कोई भगोड़ा हूं। सब बकवास है।’ माल्या ने आगे कहा, ‘भारतीय सांसद होने के नाते मैं देश के कानून का पूरा सम्मान करता हूं। उसका पालन करुंगा। हमारी न्यायिक प्रणाली सुदृढ़ और सम्मानित है। लेकिन मीडिया की ओर से कोई ट्रायल नहीं होना चाहिए।’
माल्या ने मीडिया के सिर पर आरोप मढ़ने की कोशिश करते हुए कहा, ‘एक बार मीडिया किसी के पीछे पड़ जाता है तो वह एक ऐसी प्रचंड आग पैदा कर देता है, जिसमें सत्य और तथ्य जलकर खाक हो जाते हैं। मीडिया के मालिक उस मदद, अहसानों और सुविधाओं को ना भूलें, जो मैंने उन्हें कई साल तक उपलब्ध करवाए हैं। इनके दस्तावेज हैं। अब टीआरपी हासिल करने के लिए झूठ बोल रहे हैं?’ माल्या ने उन खबरों पर भी सवाल उठाया, जिनमें कहा गया है कि उन्हें अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए। माल्या ने कहा, ‘क्या इसका यह अर्थ है कि बैंकों को मेरी संपत्ति की जानकारी नहीं थी या उन्होंने मेरी संसदीय घोषणाएं नहीं देखी थीं?’
अपने उद्योग समूह के नौ हजार करोड़ रुपए के कर्ज चुकाने में कथित तौर पर विफल रहने पर कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे शराब उद्योग के इस 60 साल के दिग्गज ने दो मार्च को देश छोड़ दिया था। जबकि बैंकों ने माल्या को विदेश जाने से रोकने के आदेश जारी करने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया था। माल्या ने अपने मौजूदा ठिकाने के बारे में चुप्पी बनाए रखी लेकिन खबरों का कहना है कि यूबी समूह के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य संभवत: लंदन से करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित एक ब्रितानी गांव में अपने घर में हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने ये सवाल उठाए कि सीबीआइ के ‘लुकआउट’ नोटिस के बावजूद माल्या को देश छोड़कर जाने कैसे दिया गया? बुधवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या ने दो मार्च को भारत छोड़ दिया था। इसके बाद पीठ ने माल्या को नोटिस जारी किया और बैंकों के संघ की ओर से दायर याचिकाओं पर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। इन याचिकाओं में माल्या का पासपोर्ट जब्त करने और उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष मौजूद होने के निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था।
इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को विजय माल्या को आइडीबीआइ बैंक से मिले 900 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुकाने से जुड़े धनशोधन के आरोपों की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया और किंगफिशर एअरलाइंस के एक वरिष्ठ कार्यकारी से पूछताछ की। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि माल्या को 18 मार्च को यहां निदेशालय के जांचकर्ताओं के सामने तलब किया गया है। उन्होंने कहा, ‘माल्या को आइडीबीआइ मामले में धनशोधन निवारक अधिनियम के प्रावधानों के तहत तलब किया गया है।’
सूत्रों ने कहा कि माल्या को अपने वित्तीय ब्योरे के संबंध में दस्तावेज सौंपने के लिए कहा गया है। माल्या को उस दिन सम्मन जारी किया गया जिस दिन बंद पड़ी विमानन कंपनी किंगफिशर एअरलाइंस के मुख्य वित्त अधिकारी ए रघुनाथन यहां बैलार्ड पीयर क्षेत्र में स्थित निदेशालय के कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया। निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने रघुनाथ को तलब किया था और वह सुबह हमारे सामने उपस्थित हुए।’ उन्होंने कहा, ‘उनसे पूछताछ महत्त्वपूर्ण है ताकि विभिन्न वित्तीय सौदों के संबंध में जानकारी मिल सके क्योंकि उनमें से कई रघुनाथन के व्यक्तिगत अधिकार क्षेत्र के हैं।’
प्रवर्तन निदेशालय ने अवैध धन के कारोबार पर रोक लगाने वाले मनीलांडरिंग निवारक अधिनियम के प्रावधानों के तहत आइडीबीआइ बैंक और विजय माल्या के नेतृत्व वाली किंगफिशर एअरलाइंस के छह से अधिक कर्मचारियों को सम्मन जारी किए हैं। उन्हें अपने पिछले पांच साल के वित्तीय ब्योरे और आयकर रिटर्न पेश करने को कहा गया है।
अधिकारी के मुताबिक एसएफआइओ के सामने पिछले महीने अपने बयान में रघुनाथ ने किंगफिशर के वित्तीय संकट के लिए माल्या को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह उनके अधीन काम करते थे। इस मामले में आइडीबीआइ के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक योगेश अग्रवाल को भी तलब किया गया था। निदेशालय ने हाल ही में माल्या और अन्य के खिलाफ पिछले साल सीबीआइ की ओर से दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लांडरिंग का मामला दर्ज किया है। एजंसी किंगफिशर एअरलाइंस के वित्तीय ढांचे की भी जांच कर रही है। इस बात की जांच करेगी कि रिश्वत तो नहीं दी गई है।
निदेशालय ने सीबीआइ की ओर से दर्ज मामले में माल्या और अन्य के खिलाफ मनी लांडरिंग निवारक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। सीबीआइ ने कर्ज सीमा के संबंध में मानदंडों के उल्लंघन कर कथित तौर पर कर्ज आबंटन के मामले में दायर प्राथमिकी में माल्या, किंगफिशर एअरलाइंस के निदेशक, कंपनी, रघुनाथन और आइडीबीआइ के अनजान अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। उन्होंने कहा कि निदेशालय अपराध से जमा धन की भी जांच कर रही है, जो कथित तौर पर कर्ज धोखाधड़ी के जरिए इकट्ठा किया गया हो। निदेशालय इस बात की भी जांच कर रहा है कि कहीं यह राशि गैरकानूनी तौर पर विदेश तो नहीं भेजी गई है। अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को सूचित किया था कि उन्हें सीबीआइ ने बताया है कि माल्या दो मार्च को ही देश छोड़कर चले गए।