संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार यानी 1 दिसंबर 2025 से शुरू हो गया है। सत्र के पहले दिन संसद में जबरदस्त हंगामा हुआ। इस बीच सरकार के मंत्रियों ने सांसदों द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब भी दिए। संसद में मोदी सरकार ने बताया है कि 15 लोग जिन्हें ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित किया गया है, उन पर भारतीय पब्लिक सेक्टर बैंकों का कुल ₹58,082 करोड़ बकाया है। यह जानकारी सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने दी। सरकार द्वारा बताए गए रकम में 31 अक्टूबर 2025 तक ₹26,645 करोड़ मूलधन और ₹31,437 करोड़ ब्याज शामिल है।
ये कौन हैं और इन्हें कैसे घोषित किया गया?
इस लिस्ट में विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े नाम शामिल हैं, जिन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) के तहत FEO घोषित किया गया है। 15 भगोड़ों में से 9 पब्लिक सेक्टर बैंकों से जुड़े बड़े फाइनेंशियल फ्रॉड में शामिल हैं। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में संख्या और बकाया रकम की पुष्टि की।
कितनी रकम रिकवर हुई है?
अब तक बैंक इन भगोड़ों के ग्रुप से लगभग 19,187 करोड़ रुपये रिकवर कर पाए हैं। इसका मतलब है कि कुल 58,082 करोड़ रुपये के दावे का लगभग 33% रिकवर हो गया है। 15 भगोड़ों में से दो पहले ही बैंकों के साथ वन-टाइम सेटलमेंट की बातचीत कर चुके हैं। बाकी रकम रिकवर करने के लिए सरकार एसेट ज़ब्ती, प्रत्यर्पण या कानूनी कार्रवाई जारी रखे हुए है।
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आरोपी भगोड़ों द्वारा किए गए ये डिफॉल्ट पब्लिक सेक्टर बैंकों और फाइनेंशियल सिस्टम के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। 31,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा का भारी ब्याज यह दिखाता है कि देनदारी कितनी तेज़ी से बढ़ रही है। यह तथ्य कि अब तक केवल एक-तिहाई बकाया ही रिकवर हुआ है। फाइनेंशियल क्राइम को रोकने और उस पर कार्रवाई करने के बारे में भी ये आंकड़े चिंतित करते हैं।
संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामेदार रहा। विपक्ष SIR और दिल्ली धमाके जैसे मुद्दों पर बहस की मांग कर रहा है तो वहीं केंद्र सरकार इस सत्र में 10 अहम विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। सरकार एक दिन के लिए वंदे मातरम पर चर्चा भी कराना चाहती है।
