जम्मू और कश्मीर पर भारत से बुरी तरह बौखलाए पाकिस्तान ने घाटी के मसले पर आखिर सच कबूल ही लिया। मंगलवार (10 सितंबर, 2019) को जिनेवा में यूनाइटेड नेशनल ह्यूमन राइट्स काउंसिल (यूएनएचआरसी) के 42वें सत्र को संबोधित करने के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने जम्मू और कश्मीर को भारत का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि ‘जम्मू और कश्मीर भारत का राज्य’ है।
उन्होंने पत्रकारों को बताया, “भारत ने दुनिया को बताया है कि वहां (जम्मू और कश्मीर) चीजें और जीवन सामान्य हो गया है। अगर चीजें वाकई में सामान्य हो गई हैं, तब वे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, सिविल सोसायटी संगठनों को घाटी में क्यों नहीं जाने दे रहे हैं?” वह आगे बोले, “वे (भारतीय) उन लोगों को भारत के जम्मू और कश्मीर की जमीनी हकीकत क्यों नहीं दिखाने दे रहे हैं? वे लोग झूठ बोल रहे हैं। अगर एक बार कर्फ्यू हट गया, तब सच्चाई सबके सामने आ जाएगी।”
वहीं, यूएनएचआरसी के 42 वें सत्र में वह बोले कि भारत द्वारा कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद घाटी के हाल पर यूएनएचआरसी को ‘‘उदासीन’’ नहीं रहना चाहिए। बकौल कुरेशी ‘‘आज मैंने कश्मीर के लोगों के लिए न्याय और सम्मान की खातिर मानवाधिकार पर विश्व की अंतरात्मा के महत्वपूर्ण स्थल मानवाधिकार परिषद का दरवाजा खटखटाया है।’’
देखें, क्या बोले पाकिस्तानी विदेश मंत्रीः
#WATCH: Pakistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi mentions Kashmir as “Indian State of Jammu and Kashmir” in Geneva pic.twitter.com/kCc3VDzVuN
— ANI (@ANI) September 10, 2019
कुरैशी ने कहा, ‘‘हमें इस प्रतिष्ठित संस्था को वैश्विक मंच पर लज्जित नहीं होने देना चाहिए। इस परिषद का संस्थापक सदस्य होने के नाते पाकिस्तान ऐसा होने से रोकने के लिए नैतिक रूप से बाध्य है।’’ उन्होंने कहा कि जो हुआ है उसके प्रति निकाय को उदासीन नहीं रहना चाहिए।
इसी बीच, जिनेवा में यूनाइटेड नेशंस (यूएन) दफ्तर में यूनाइटेड नेशनल ह्यूमन राइट्स काउंसिल (UNHRC) के 42वें सत्र के दौरान वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस ने पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प बोले हैं कि भारत-पाकिस्तान में तनाव पिछले दो हफ्तों में कम हुआ है। अगर दोनों देश चाहें तो वह (यूएस राष्ट्रपति) दो दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों की मदद करने के लिए राजी हैं। बता दें कि ट्रम्प ने फ्रांस में 26 अगस्त को जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने के करीब दो सप्ताह बाद पहली बार इस मामले पर अपनी राय रखी।
बता दें कि जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटने के बाद से दोनों मुल्कों में तनाव की स्थिति है। पाक पीएम इमरान खान संग जुलाई में बैठक में भी ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच कश्मीर के मामले को लेकर मध्यस्थ बनने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, भारत ने कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय बताते हुए उसे ठुकरा दिया था। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)