भाजपा आलाकमान से राहत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर से खतरा पूरी तरह टला नहीं है। आइपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद के आरोपों से घिरी वसुंधरा राजे के समर्थक अब पूरी सतर्कता से कदम उठा रहे हैं। इसमें आलाकमान को चुनौती नहीं देते हुए सिर्फ दबाव की राजनीति अपनाने पर ही जोर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री को अभी सांसद बेटे की कंपनी के ललित मोदी की कंपनी से हुए लेनदेन पर ही पूरी तरह से राहत मिली है। आव्रजन संबंधी दस्तावेज से उजागर मामले को अभी अप्रमाणिक ही मान कर राजे को राहत मिली है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए पिछला हफ्ता भारी संकट भरा गुजरा। आइपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मदद के मामले में जिस तरह से वसुंधरा राजे की राजनीतिक घेराबंदी हो गई थी उससे तो राजस्थान की सियासत उबाल पर ही आ गई थी। प्रदेश में उनके समर्थक सक्रिय होकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को चुनौती देने की तैयारी भी करने लग गए थे।

इससे ही केंद्रीय नेतृत्व के कान खड़े हो गए थे। प्रदेश से भाजपा विधायकों के दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व से मिलने की सूचनाओं के बाद तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी कड़ा रवैया अपनाया। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अपने स्तर पर ऐसा नहीं करने की हिदायत समर्थकों को दी। केंद्रीय नेतृत्व ने चार दिन की चुप्पी के बाद वसुंधरा राजे का इस्तीफा लेने से इनकार करते हुए उन्हें क्लीन चिट दी। इसमें राजे के सांसद बेटे दुष्यंत सिंह की कंपनी के लेनदेन के मामलों को सही करार दिया तो आव्रजन मामले के दस्तावेज को अप्रमाणिक मान कर ही प्रकरण को रफा-दफा करने की कोशिश की गई।

ललित मोदी को लेकर पनपे विवाद के बाद अब प्रदेश नेतृत्व ने संगठन के स्तर पर मुख्यमंत्री का बचाव करने की मुहिम भी शुरू कर दी है। इसमें आने वाले समय में प्रदेश में होने वाले शहरी निकायों के चुनाव को आधार बनाया जा रहा है। प्रदेश भाजपा ने इस चुनाव की तैयारी के लिए शनिवार को यहां पदाधिकारियों के साथ ही विधायकों और सांसदों की एक बड़ी बैठक की थी। बैठक में बड़ी संख्या में विधायकों के शामिल होने से ही अलग तरह की सुगबुगाहट शुरू हो गई। प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने बैठक को पूर्व निर्धारित बताया।

उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे तबीयत खराब होने के कारण इसमें शामिल नहीं हो पाईं।

प्रदेश भाजपा की भीतरी राजनीति में विरोधियों ने इसे मुख्यमंत्री के समर्थन में शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी लिया। इसकी जानकारी केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंच गई। इसके बाद ही मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने इसे शक्ति प्रदर्शन बताने को गलत करार दिया। सलाहकार के बयान में कहा गया कि प्रदेश अध्यक्ष की तरफ से बुलाई गई बैठक को मीडिया की तरफ से मुख्यमंत्री का शक्ति प्रदर्शन बताना गलत है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व हालात पर पूरी तरह से निगाह रख रहा है। इसके साथ ही आरएसएस से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारी भी प्रकरण से भाजपा और केंद्रीय नेतृत्व की छवि पर पडे असर का आकलन कर रहे हैं। प्रकरण से उपजे माहौल में विधायकों और पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की राय को केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में भाजपा के पिछले डेढ़ साल के शासनकाल में जनता के बीच सरकार की छवि की जानकारी को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है।

इसके साथ ही प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की यकायक बढ़ी सक्रियता ने भी भाजपा को सतर्क कर दिया है। ललित मोदी के मामले में तो कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रति तीखे तेवर ही अपनाए और लगातार इस्तीफे का दबाव बनाए रखा। इसको लेकर ही प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है कि कांग्रेस के पास आरोप लगाने के सिवाय कोई काम नहीं है। कांग्रेस आरोप लगा कर सरकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। इसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। कांग्रेस भी इस मुददे को छोड़ने के मूड में नहीं है।

प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में आक्रामक रवैया अपना रखा है। एनएसयूआइ के कार्यक्रम में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बचाव पर ही सवाल खड़ा करते हुए उनके इस्तीफे की मांग जारी रखने की बात कही है।

राजीव जैन