Bihar Vashishtha Narayan Singh death Kumar Vishwas: महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह (Vashishtha Narayan Singh) का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार (14 नवंबर) को बिहार की राजधानी पटना के मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) में निधन हो गया। वह सिजोफ्रेनिया रोग से पीड़ित थे और काफी समय से उनका इलाज चल रहा था। इस बीच एक वीडियो सामने आया है जिसमें वशिष्ठ नारायण सिंह के परिजन उनके पार्थिव शरीर के साथ अस्पताल के बाहर एंबुलेंस का इंतजार करते दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि उन्हें प्रशासन एंबुलेंस तक मुहैया नहीं करा पाई। जिसको लेकर सोशल मीडिया में नीतीश सरकार से लोग सवाल कर रहे हैं। कवि कुमार विश्वास ने कहा कि इतनी विराट प्रतिभा की ऐसी उपेक्षा?

क्या बोले कुमार विश्वास: उन्होंने स्ट्रेचर पर रखे गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के पार्थिव शरीर का वीडियो रीट्वीट करते हुए लिखा- उफ्फ, इतनी विराट प्रतिभा की ऐसी उपेक्षा? विश्व जिसकी मेधा का लोहा माना उसके प्रति उसी का बिहार इतना पत्थर हो गया? नीतीश कुमार गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, नित्यानंद आप सबसे सवाल बनता हैं। भारत मां क्यूं सौंपे ऐसे मेधावी बेटे इस देश को जब हम उन्हें संभाल ही न सकें?

सीएम ने जताया दुख: बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव निवासी 74 वर्षीय वशिष्ठ नारायण सिंह लंबे समय से सिजोफ्रेनिया रोग से पीड़ित थे और पीएमसीएच में उनका इलाज चल रहा था। गुरुवार को उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दिवंगत सिंह ने पूरे विश्व में भारत एवं बिहार का नाम रौशन किया है। उनका निधन बिहार एवं देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री ने पटना के कुल्हड़िया कॉम्पलेक्स पहुंचकर उनके पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

कौन थे वशिष्ठ नारायण: गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने बर्कले के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से वर्ष 1969 में गणित में पीएचडी की थी। उन्होंने ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी‘ पर शोध किया था। वह वाशिंगटन में गणित के प्रोफेसर थे। लेकिन वर्ष 1972 में भारत लौट आये थे। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कलकत्ता में अध्यापन का कार्य किया। वे बिहार के मधेपुरा जिला स्थित भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के विजिंटिंग प्रोफेसर भी रहे थे। लेकिन उनके निधन के बाद भाई अयोध्या प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया कि हमें पार्थिव शरीर को पटना स्थित उनके आवास ले जाने के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई जिसके कारण शव को काफी देर तक स्ट्रेचर पर रखना पड़ा।