वाराणसी में सामूहिक बलात्कार की दहला देने वाली घटना बेलगाम अपराध के बरक्स कानून के शासन की लाचारगी को रेखांकित करती है। वरना जिस राज्य में लगभग हर रोज सरकार अपराध और अपराधियों के खत्म होने का दावा करती रहती है, वहां आए दिन अपराधों की प्रकृति और ज्यादा विकृत और बेलगाम क्यों होती जा रही है? यह कल्पना भी बेहद तकलीफदेह है कि जिस उत्तर प्रदेश को सबसे सुरक्षित राज्यों में से एक बताया जाता रहा है, वहां भी महिलाएं खुद को जोखिम में पा रही हैं।
महिलाएं कहां और कैसे खुद को सुरक्षित महसूस करें
गौरतलब है कि हाल ही में वाराणसी में एक युवती से तेईस युवकों ने सात दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया। युवती को नशीला पदार्थ खिला कर अलग-अलग जगहों पर ले जाकर आरोपियों ने उससे दरिंदगी की। इस घटना के बाद स्वाभाविक ही सवाल उठ रहे हैं कि अगर सबसे चौकस कानून-व्यवस्था के दावे वाले क्षेत्र में आपराधिक तत्त्व इस कदर बेलगाम हैं, तो महिलाएं कहां और कैसे खुद को सुरक्षित महसूस करें।
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सवाल है कि अगर राज्य सरकार यह दावा करती है कि उसके अपराध और अपराधियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाने से आपराधिक मानसिकता वाले लोग अब कोई अपराध करने से डरते हैं तो करीब एक हफ्ते तक तेईस आरोपी एक युवती से लगातार बलात्कार जैसी वारदात को कैसे अंजाम देते रहे। किन वजहों से उनके भीतर कानून का कोई खौफ नहीं था? इस घटना की गंभीरता के मद्देनजर ही खुद प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से वारदात में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा है। मगर सवाल है कि ऐसी नौबत क्यों आई कि एक जघन्य अपराध के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री को कहना पड़े!
राज्य की पुलिस व्यवस्था को खुद ही न केवल दोषियों को सजा दिलाने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए, बल्कि समूचे राज्य में वास्तव में ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि आपराधिक मानसिकता वाले लोग कोई भी अपराध करने से डरें। अपराधियों के खिलाफ सख्ती के समांतर ज्यादा जरूरी यह भी है कि ऐसा माहौल बनाया जाए, जिसमें अपराध को होने से पहले रोका जा सके और महिलाएं कहीं भी खुद को सुरक्षित महसूस करें।