उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार रात सवा ग्यारह बजे राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया। रावत का कार्यकाल बमुश्किल चार महीने रहा। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए कहा कि वह नए मुख्यमंत्री का चयन होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में अपना दायित्व संभाले रहें। पार्टी विधायक दल के नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को देहरादून में पार्टी मुख्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है।

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा कि धारा 151 और 164 की वजह से संवैधानिक संकट के कारण उपजी परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है और यह उनका उचित फैसला है। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के अत्यंत आभारी हैं कि उन्हें पार्टी ने समय-समय पर विभिन्न दायित्व दिए। उन्हें विधायक बनाया, पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया, सांसद बनाया, मंत्री बनाया और फिर मुख्यमंत्री तक बनाया। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह के अत्यंत आभारी हैं जिन्होंने उन पर भरोसा जताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा संवैधानिक परिस्थितियों को देखते हुए ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देना उचित समझा। उनके साथ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पूर्व सांसद बलराज पासी राजभवन गए थे। तीन दिन तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद तीरथ सिंह रावत के इस फैसले से इस बारे में चल रहीं अटकलों पर विराम लग गया है। अब अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला शनिवार को भाजपा विधानमंडल की दोपहर तीन बचे देहरादून प्रदेश भाजपा कार्यालय में होने वाली बैठक में तय होगा।

मुख्यमंत्री के शुक्रवार रात देहरादून पहुंचने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने ऐलान कर दिया था कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा आज ही होगा। मदन कौशिक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खास माने जाते हैं। एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सल्ट विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव इसलिए नहीं लड़ पाए क्योंकि वे उस समय कोरोना संक्रमित थे और वे एकांतवास में थे।

पार्टी विधायक दल के नए नेता का चयन करने के लिए शनिवार को प्रदेश पार्टी मुख्यालय में विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। तीन बजे बुलाई गई इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं प्रदेश अध्यक्ष कौशिक करेंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी की ओर से सभी विधायकों को शनिवार की बैठक में उपस्थित रहने की सूचना दे दी गई है।

अपने तीन दिन के दिल्ली दौरे से शुक्रवार रात प्रदेश लौटे मुख्यमंत्री रावत सचिवालय पहुंचे और संवाददाताओं से मुखातिब हुए लेकिन उन्होंने अपने इस्तीफे के संबंध में कोई बात न करते हुए नई घोषणाएं कर सबको हैरानी में डाल दिया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए परिवहन और पर्यटन आदि क्षेत्रों के लोगों को राहत देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और उन्हें लगभग 2000 करोड रूपये की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित युवाओं को रोजगार देने के लिए छह माह में 20,000 रिक्तियां भरने की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि वह यह घोषणा पहले ही करना चाहते थे लेकिन तीन दिन दिल्ली में रहने के कारण अब कर रहे हैं। इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार दिन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। मुलाकातों के इस दौर से ही प्रदेश में एक और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें आरंभ हो गई थीं। हालांकि तीरथ रावत ने राज्य में विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा था।

नड्डा के दिल्ली स्थित आवास पर उनसे मुख्यमंत्री की लगभग आधे घंटे की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब रावत के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। यह अटकलें इसलिए लग रही थीं क्योंकि उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है और अपने पद पर बने रहने के लिए रावत का 10 सितंबर तक विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता थी। पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था।