समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच चीजें बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। आलम यह है कि इन दिनों सपा चीफ उनकी विधायकी खत्म कराने पर तुले हुए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि गुरुवार (12 सितंबर, 2019) को सपा ने विधानसभा स्पीकर को इस संबंध में अर्जी दी।
पार्टी की ओर से इस अर्जी में कहा गया कि दल-बदल कानून (Anti-Defection Law) के तहत यूपी विधानसभा के सदस्य शिवपाल यादव को अयोग्य घोषित कर दिया जाए। यूपी विस में विपक्ष के नेता और सपा प्रवक्ता रामगोविंद चौधरी ने मुलायम के छोटे भाई की विधायकी के खिलाफ यह अर्जी दी है।
दरअसल, आम चुनाव 2019 में सपा को मिली करारी शिकस्त के बावजूद सपा चीफ और उनके चाचा के बीच खटास कम नहीं हुई है। बता दें कि शिवपाल ने बीते साल अपना अलग दल बनाया था, जिसका नाम ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी’ है। हालांकि, वह फिलहाल सपा से विधायक हैं।
वैसे, 2017 के विस चुनाव के दौरान ही मुलायम के कुनबे में खट-पट शुरू हो गई थी। नतीजतन शिवपाल की सपा से दूरियां बढ़ीं और उन्हें अलग दल खड़ा करना पड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी चाचा और भतीजा आमने-सामने थे। इसी सियासी लड़ाई में शिवपाल पीछे रह गए और उन्हें एक भी सीट न मिल पाई। उल्टा वह अपनी इटावा से जसवंत नगर सीट से भी हार गए।
‘जुर्माने की दरें कम करने पर विचार कर रही है उप्र सरकार’: गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखण्ड के बाद अब भाजपा शासित उत्तर प्रदेश की सरकार भी यातायात नियमों के उल्लंघन पर वसूले जाने वाले जुर्माने की दरों पर ”जनता के हित में” फिर से विचार कर रही है। सपा ने भाजपा शासित राज्यों द्वारा चालान के नए नियमों को ”न मानने” को भाजपा में ”अतिकेन्द्रीकरण” के विरोध की शुरूआत करार दिया है।
राज्य के परिवहन राज्यमंत्री अशोक कटारिया ने मीडिया से कहा, ”उत्तर प्रदेश की जनता के हित में जुर्माना राशि को कितना किया जाए, इसके बारे में सरकार पुर्निवचार कर रही है।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही यातायात नियमों के उल्लंघन के जुर्माने की नयी दरें घोषित करेगी।