कवि से राजनेता बने कुमार विश्वास को सत्तारूढ़ BJP में एक नया प्रशंसक मिल गया है। विश्वास की तारीफों में उत्तर प्रदेश के BJP चीफ स्वतंत्र देव सिंह ने पुल बांधे हैं। गुरुवार को उन्होंने एक कार्यक्रम में कविता पाठ के लिए कवि की जमकर कर तारीफ की। यह प्रोग्राम दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती की पूर्व संध्या पर हुआ।
सिंह ने इसके अलावा अपने टि्वटर हैंडल से एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने खुलकर कवि की तारीफ की। साथ ही फोटो भी शेयर किए। लिखा था, “आज लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित काव्य गोष्ठी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हिस्सा लिया। विश्वविख्यात कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने अपने शानदार काव्य पाठ से काव्य प्रेमियों को मनमुग्ध कर दिया।”
आज लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित काव्य गोष्ठी में मा• मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी के साथ प्रतिभाग किया।
विश्व विख्यात कवि @DrKumarVishwas जी ने अपने शानदार काव्य पाठ से काव्यप्रेमियों को मनमुग्ध कर दिया। pic.twitter.com/WKl9l7UrAH
— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) December 24, 2020
वैसे, रोचक बात है कि AAP के पूर्व नेता के लिए उत्तर प्रदेश भाजपा प्रमुख की ओर से यह प्रशंसा ऐसे वक्त पर की गई है, जब हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बता दें कि यूपी में 404 विधानसभा सीटें हैं, जबकि इनके लिए चुनाव 2022 में होने हैं।
विश्वास यूपी के पिलखुवा से नाता रखते हैं। पिता चाहते थे कि कुमार इंजीनियर बनें, पर बेटे की चाहत हिंदी साहित्य पढ़ने की थी। ऐसे में उन्होंने मन की सुनी और आगे हिंदी में ही पीएचडी की। इसी दौरान उन्होंने अपना शर्मा टाइटल भी नाम से हटा लिया। बाद में 1994 में वह राजस्थान में लेक्चरर बने। फिर 2012 में वह AAP के साथ वॉलंटियर के तौर पर जुड़े।
बता दें कि कुछ मसलों पर मतभेदों को लेकर विश्वास आप से अलग हो लिए थे। केजरीवाल से उनकी दूरी बढ़ने की ये वजहों हैंः विश्वास समाजसेवी अन्ना हजारे के खेमे में थे। वह सियासी पार्टी के पक्ष में नहीं थे। केजरीवाल की जी हुजूरी करने से इन्कार किया। कहा जाता है कि वह केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सिसोदिया के नाम के आगे जी नहीं लगाते थे। विश्वास की ये बात दोनों की खटकती थी। फिर पंजाब में अनदेखी की गई। प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम नहीं था, जबकि कवि पॉपुलैरिटी के मामले में केजरीवाल को भी कांटे की टक्कर देते हैं। भीड़ खींचने में उन्हें माहिर माना जाता है। इनके अलावा कुछ और बातें भी हैं, जो दोनों के रिश्तों के बीच दीवार की वजह बनीं।