सूखाग्रस्त बुंदेलखंड की मदद के लिए केंद्र की ओर से ट्रेन के जरिये भेजे गए पानी के टैंकर को स्वीकारने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार दिन भर असमंजस में रही। हालांकि काबीना मंत्री शिवपाल यादव और मुख्य सचिव आलोक रंजन द्वारा यह ‘मदद’ अस्वीकार करने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर ट्रेन के टैंकरों की जांच करने पर यह खाली पाए गए।
ट्रेन के खाली होने की खबर सोशल मीडिया पर फैलने के बाद मुख्यमंत्री ने झांसी के जिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए। पड़ताल में पता लगा कि ट्रेन के टैंकर खाली हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री ने ‘ट्वीट’ करके कहा था कि उन्होंने केंद्र सरकार से पानी भरी ट्रेन के बजाय 10 हजार खाली टैंकर भेजने की गुजारिश की है ताकि बुंदेलखंड के जलसंसाधनों में उपलब्ध पानी को सूखा प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके। केंद्र द्वारा रतलाम से भरे गए पानी से लबालब भरे टैंकर वाली ट्रेन सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के झांसी जिले में भेजे जाने की कुछ मीडिया रिपोर्टों पर प्रदेश के जल संसाधन मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि सूबे को बाहर से पानी मंगाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा ‘प्रदेश को बाहर से पानी मंगाने की जरूरत नहीं है।
जब जरूरत होगी तो पानी मांगा जाएगा। कोई अगर इस तरह से पानी भेज देगा तो हम उसे कहां रखेंगे।’ उधर, मुख्य सचिव आलोक रंजन ने भी टैंकर ट्रेन भेजे जाने को गैर जरूरी बताते हुए कहा ‘पानी की ऐसी दिक्कत नहीं है कि हमें बाहर से रेल से पानी मंगवाना पड़े। हमने पानी के लिए प्रबंध किए हैं। हम मांग करेंगे कि खाली टैंकर भेजवाए जाएं। पानी की समस्या नहीं है, बस उसे पहुंचाने की समस्या है।’
उधर झांसी रेल मंडल के अपर प्रबंधक विनीत सिंह ने बताया कि रेल मुख्यालय से उन्हें निर्देश मिले थे कि वह टैंकर ट्रेन महोबा भेजी जानी है। यह ट्रेन बुधवार को झांसी पहुंच गई। महोबा के जिलाधिकारी से जब पूछा गया कि ट्रेन कब भेजी जाए तो उन्होंने कहा कि अभी इसकी जरूरत नहीं है। जब होगी तो मंगा ली जाएगी। ट्रेन को यार्ड में खड़ा कर लिया गया। यह जिला प्रशासन और राज्य सरकार जाने कि ट्रेन में पानी कहां से भरा जाएगा। भाजपा ने प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार की इस मदद को ठुकराए जाने को गैरजरूरी बताया है।
पार्टी के प्रांतीय प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार ने सूखाग्रस्त बुंदेलखंड के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए एक कदम उठाया है। इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर बुंदेलखंड में इतना ही पानी मौजूद है, और शासन तंत्र राहत पहुंचाने के लिए इतना ही गंभीर है, तो वहां के लोग पानी के लिए इतना संघर्ष क्यों कर रहे हैं। बेहतर होता, अगर राज्य सरकार केंद्र की इस मदद को सियासत से ऊपर उठ कर देखती।