लुधियाना की फास्ट ट्रैक विशेष अदालत ने मंगलवार को 2020 में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म के आरोप में 30 वर्षीय एक शख्स को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमरजीत सिंह की अदालत ने यह भी आदेश दिया कि दोषी “अपने शेष प्राकृतिक जीवन के लिए या अपनी मृत्यु तक कैद में रहेगा” और “उसे कम से कम तब तक पैरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा जब तक कि वह जेल में 25 प्रभावी वर्ष नहीं बिता लेता।”
उत्तर प्रदेश का मूल निवासी आरोपी घटना के समय लुधियाना में रह रहा था। एफआईआर पीड़िता के माता-पिता की शिकायत पर दर्ज की गई थी। वे भी यूपी के मूल निवासी हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि वे अपने किराए के कमरे के पास ठेले पर सब्जियां बेचते हैं। 1 अक्टूबर 2020 को उनकी 8 साल की बेटी लापता हो गई। उसकी तलाश करते समय, उन्हें आरोपी के कमरे से रोने की आवाज़ सुनाई दी, जो उसी इलाके में रहता था। जब वे अंदर गए तो देखा कि आरोपी उसके साथ दुष्कर्म कर रहा था और उनकी बेटी का काफी खून बह रहा था।
मामले में लोक अभियोजक बीडी गुप्ता ने कहा कि 13 गवाहों से पूछताछ की गई और वैज्ञानिक जांच के लिए डीएनए परीक्षण भी कराया गया। उन्होंने कहा कि अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376-एबी और पॉक्सो (POCSO) अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया।
बीडी गुप्ता ने यह भी बताया, “उसे दोनों धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। आदेश के अनुसार, वह 25 साल जेल में बिताने से पहले पैरोल का हकदार नहीं होगा।”
सौतेली बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पिता को आजीवन कारावास
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की एक विशेष अदालत ने 10 साल की बेटी से दुष्कर्म करने के आरोपी सौतेले पिता को दोषी करार देते हुए मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और उस पर 80 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक फरह थाना क्षेत्र के एक गांव में उक्त व्यक्ति इसी साल 17 मई को अपनी सौतेली बेटी को मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले गया और एक सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक पीड़िता की मां ने बेटी द्वारा घर पहुंच कर दी गई जानकारी के आधार पर अगले ही दिन पति के विरुद्ध मामला दर्ज कराया था।