उत्तर प्रदेश में एक बड़ी रैली के जरिए कांग्रेस भी चुनावी बिगुल फूंकने जा रही है। पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी बरेली में 10 दिन बाद बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाली हैं। इससे पहले कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी ‘दल बदल’ संकट का सामना कर रही है। ज़मीनी पकड़ रखने वाले कई नेता पार्टी में विश्वास खो चुके हैं और वे सपा में शामिल हो रहे हैं।
बुंदेलखंड के बड़े कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी और विनोद चौधरी ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। उनके साथ महोबा के मनोज तिवारी ने भी सपा की सदस्यता ले ली। यह सब तब हुआ जब कांग्रेस के पूर्व विधायक और पश्चिमी यूपी में पकड़ रखने वाले इमरान मसूद ने कह दिया कि राज्य में भाजपा को मात देने में केवल सपा ही सक्षम है। उन्होंने कहा था कि सभी पार्टियों को सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए।
यह भी पढ़ेंः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: अमेठी में कांग्रेस नेताओं की आस से बुझेगी जीत की प्यास?
मसूद ने यह भी कहा था कि बहुत प्रयासों के बावजूद प्रियंका गांधी वोट जोड़ने में सफल नहीं हो पाई हैं। बता दें कि मसूद पहले सपा में ही थे। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हाल ही में उन्हें दिल्ली में AICC सेक्रटरी का पद दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक मसूद और अन्य कई जाट नेता कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।
बता दें कि जितिन प्रसाद जैसे हाई प्रोफाइल नेता के भाजपा में जाने से कांग्रेस को पहले ही नुकसान हो चुका है। अब प्रसाद राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री हैं। अब अनुरागी के दल बदलने से कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि वह बुंदेलखंड क्षेत्र में बड़े दलित नेता माने जाते हैं। अनुरागी को कांग्रेस स्टेट यूनिट का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था और प्रियंका गांधी ने उनसे चुनाव की तैयारियां करने को कहा था।
सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं ने कांग्रेस का साथ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि पार्टी में कोई उनकी बात सुनने वाला नहीं है।
कई और नेताओं के पार्टी छोड़ने के कयास
एक सप्ताह पहले पूर्व विधायक और पार्टी के उपाध्यक्ष ललितेश पति त्रिपाठी ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। वह कमलापति त्रिपाठी के पोते हैं। सूत्रों का कहना है कि कई अन्य नेता भी ऐसे हैं जो कि अपने- अपने क्षेत्र में जमीनी पकड़ रखते हैं लेकिन कांग्रेस से निराश होकर वह पार्टी बदलना चाहते हैं। ज्यादातर ऐसे नेता सपा की तरफ ही रुख कर सकते हैं।