देश की आजादी के लिए आंदोलनों में शामिल रहे मोहम्मद अली जिन्ना को देश के बंटवारे का जिम्मेदार माना जाता है। इस बीच यूपी चुनाव से पहले जिन्ना को लेकर राजनीतिक गलियारों में गर्मागरम बहस देखने को मिल रही है। दरअसल बीते रविवार को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने जिन्ना को आजादी का नायक बताकर विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया।

मालूम हो कि अखिलेश यादव ने जिन्ना की तुलना महात्मा गांधी और पटेल से करते हुए कहा था, “सरदार पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था से पढ़कर निकले और बैरिस्टर बने और देश को आजादी दिलाई। अगर उन्हें किसी भी तरह का संघर्ष करना पड़ा तो वह पीछे नहीं हटे।”

अखिलेश के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि पटेल का नाम लेने से एक वर्ग नाराज हो जाता। इसलिए उन्होंने जिन्ना का भी जिक्र कर दिया। उन्हें डर था कि कहीं मेरा कोर वोटर नाराज न हो जाए।

अखिलेश यादव के बयान पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा, “भारत के मुसलमान ने 1947 में फैसला कर लिया था कि वो पाकिस्तान नहीं जाएंगे। जिन्ना से हमारा कोई ताल्लुक़ नहीं है। अखिलेश यादव को ये समझना चाहिए कि वो ये बात करके सोच रहे हैं, कोई एक तबका इससे ख़ुश होगा तो वो ग़लत हैं।”

वैसे अखिलेश यादव के बयान पर विपक्षी दलों की तरफ से भले ही आलोचना हो रही हो लेकिन भाजपा के नेताओं की तरफ से भी जिन्ना की तारीफ की जा चुकी है। दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के रतलाम झाबुआ से गुमान सिंह डामोर ने जिन्ना की तारीफ की थी।

उन्होंने जिन्ना को एक विद्वान व्यक्ति, एडवोकेट बताते हुए कहा था, “आजादी के समय अगर जवाहर लाल नेहरू जिद नहीं करते तो इस देश के दो टुकड़े नहीं होते। अगर उस समय जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो देश का विभाजन नहीं होता। इस देश के टुकड़े करने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।”

कब-कब हुई जिन्ना पर सियासत: वैसे जिन्ना को लेकर पहली बार बहस नहीं छिड़ी है। भारतीय राजनीति में इससे पहले भी जिन्ना का जिन्न चिराग से बाहर आता रहा है। अप्रैल 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में लगी जिन्ना की तस्वीर को लेकर उस दौरान भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम ने विरोध कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी थी।

इसके अलावा जुलाई 2021 में ओवैसी ने भाजपा को गोड्से की विचारधारा वाला बताया था। जिसका जवाब देते हुए मेरठ की सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम ने ओवैसी को जिन्ना की राह पर चलने वाला बता दिया था।

वहीं शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी जिन्ना को लेकर बात कही जा चुकी है। अपने एक कॉलम में संजय राउत ने लिखा था कि अगर गोड्से ने महात्मा गांधी की जगह जिन्ना की हत्या की होती तो शायद देश का विभाजन रोका जा सकता था।