दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को धरना देते हुए 90 दिन से अधिक का समय हो गया है। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान आन्दोलनकारियों को लेकर भाजपा के कई नेताओं ने विवादित बयान दिया है। पहले प्रधानमंत्री ने सदन में किसानों को आन्दोलनजीवी कहा और अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि विदेशी जूठन पर जीने वाले लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं।

आजतक चैनल पर आयोजित सीधी बात कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि क्या योगेन्द्र यादव और हन्नान मोल्लाह किसान हैं। ये लोग विघटनकारी गतिविधियों की अगुवाई करते हैं। ये लोग आंदोलनजीवी हैं, परजीवी हैं।  किसानों की मेहनत पर जीवित रहने वाले लोग या विदेशी जूठन पर जीवित रहने वाले लोग ही किसानों को गुमराह कर रहे हैं। ये लोग किसानों के साथ अपराध कर रहे हैं। कुछ लोगों को इनकी प्रगति से चिढ है और किसानों का फायदा नहीं होने देना चाहते हैं।

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले मकई का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होता था। जिसकी वजह से किसानों को 900 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलता था। लेकिन साल 2019 में मोदी सरकार ने मकई का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1800 रुपये तय किया। साथ ही सरकारी मंडियों के अलावा निजी व्यापारियों को भी फसल खरीदने की अनुमति दी गयी। जिसकी वजह से किसानों को 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव भी मिला।

वहीँ जब कार्यक्रम में एंकर प्रभु चावला ने पूछा कि अगले साल विधानसभा चुनाव होने को हैं और पश्चिमी यूपी के किसान आपसे नाराज हैं। प्रियंका गाँधी की किसान महापंचायत में भी भीड़ उमड़ रही है। इसपर जवाब देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रियंका गाँधी की रैली में जाने वाले कौन लोग हैं। रैली में जैसे ही कैमरा मुड़ता है तो लोग अपने टोपी को उतारकर कर नीचे रख देते हैं।

इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में काफी समय से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जा रही है। बुंदेलखंड इलाके में किसान अपनी जड़ी बूटी की फसल के लिए वैद्यनाथ कंपनी से करार करते हैं। क्या इस करार की वजह से अभी तक किसी भी किसान की खेती या जमीन चली गयी। सिर्फ कुछ लोग इन कानूनों के नाम पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं।