नागरिकता संशोधन कानून, 2019 के खिलाफ पिछले चार दिनों में उत्तर प्रदेश में हुए विरोध-प्रदर्शन में मारे गए 16 में से 14 लोग बंदूक की गोलियों का शिकार हुए। इंडियन एक्सप्रेस ने आठ जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हवाले से इसकी पुष्टि की है। प्रदर्शन में अन्य जो दो लोग मारे गए उनमें राशिद (35) की मौत फिरोजाबाद में सिर में चोट लगने की वजह से हुई जबकि मोहम्मद सगीर (8) ने वाराणसी में उस वक्त दम तोड़ दिया जब पुलिस प्रदर्शनकारियों तितर-बितर कर रही थी।

जिन लोगों की मौत गोली लगने से हुई उनमें मोहम्मद वकील (32- लखनऊ), आफताब आलम (22- कानपुर), मोहम्मद सैफ (25- कानपुर), अनस (21- बिजनौर), सुलेमान (35- बिजनौर), बिलाल (24- संभल), मोहम्मद शहरोज (23- बिजनौर), जहीर (33- मेरठ) मोहसिन (28- मेरठ), आसिफ (20- मेरठ), आरिफ (20- मेरठ), नबी जहांन (24- फिरोजबाद) और फैज खान (24- रामपुर) शामिल हैं।

पुलिस के मुताबिक बीते रविवार को कानपुर में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान एक 28 वर्षीय एचआईवी मरीज की मौत हो गई। पुलिस ने आगे बताया कि पोस्ट मार्टम के बाद 15 मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए। इस बीच इंडियन एक्सप्रेस ने मृतकों के परिजनों से उनकी प्रतिक्रिया जानने चाही तो उनमें चार पीड़ित परिवारों ने बताया कि अभी तक उन्हें पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं मिली है।

मृतक फैज खान के भाई फराज खान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसके पेट में गोली मारी गई। एक दर्जन से अधिक चश्मदीद गवाह हैं और पुलिस को भी पता है कि सामने से कौन गोली मार रहा था। एक बार पोस्टमार्टम रिपोर्ट हमें मिल जाएगी तो पता चल जाएगा कि पुलिस गोलीबारी में फैज की मौत हुई।

इस बीच जब आईजी (कानून व्यवस्था) प्रवीण कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया, ‘ज्यादातर मामलों में पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा गोलीबारी में पीड़ितों की मौत हो गई।’ उन्होंने कहा कि जिलों से मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई हैं।

लखनऊ में एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि दौलतगंज के वकील की मौत बंदूक की गोली से घायल होने के चलते हुई है। पता चला है कि उसे करीब से गोली मारी गई थी।

कानपुर के सर्किल ऑफिसर मनोज कुमार गुप्ता ने पुष्टि की आफताब और सैफ की मौत नई बस्ती स्थित मस्जिद के पास हुई हिंसा के दौरान गोली की चेपट में आने की वजह से हुई। आफताब के बहनोई मोहम्मज रिजवान ने बताया, ‘उसने मुझे बताया था कि उसे पुलिस की गोली लगी थी।’ सैफ के भाई मोहम्मद जकी कहते हैं, ‘वारदात स्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि उसकी मौत पुलिस की गोली लगने की वजह से हुई।’

बिजनौर के एसपी संजीव त्यागी कहते हैं कि अनस और सुलेमान को नहतौर इलाके में झड़प के दौरान गोली लगी थी। इसी तरह बिलाल और शहरोज की मौत प्रदर्शन के दौरान हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है। संभल के एएसपी आलोक कुमार जायसवाल के मुताबिक शहरोज के परिवार का कहना है कि उन्हें अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है।

मेरठ के एएसपी अखिलेश नारायण के मुताबिक जहीर, मोहसिन, आसिफ और आरिफ की मौत शुक्रवार को झड़प के दौरान गोली लगने की वजह से हुई।

फिरोजाबाद के एसपी सचिंद्र पटेल ने बताया कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि राशिद और नबी जहांन की मौत नालबंद स्थानीय क्षेत्र में गोली लगने की वजह से हुई।

रामपुर के जिला मजिस्ट्रेट आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि फरोज खान की मौत गोली लगने के चलते हुई।

वाराणसी के सर्किल ऑफिसर सुधीर जायसवाल ने बताया कि आठ साल के सगीर की मौत भेलूपुर इलाके में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस के बल प्रयोग के बाद मची भगदड़ में मौत हो गई।

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